March 29, 2024

वेंकेया: आडवाणी टीम के आखिरी सदस्य की विदाई!

वेंकेया: आडवाणी टीम के आखिरी
देश के नए उप राष्ट्रपति का चुनाव हो गया है। एनडीए के जगदीप धनखड़ देश के नए उप राष्ट्रपति होंगे। संसद का मॉनसून सत्र समाप्त होने से एक दिन पहले एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। इस तरह भाजपा की राजनीति का एक युग समाप्त हो जाएगा। यह युग भाजपा के सबसे बड़े नेताओं में से एक संघ के सबसे यशस्वी स्वंयसेवक रहे लालकृष्ण आडवाणी की राजनीति का युग होगा। वेंकैया नायडू आडवाणी की कोर टीम के आखिरी सदस्य हैं, जिनके राजनीतिक करियर पर पूर्णविराम लग रहा है।
दिल्ली की राजनीति कवर करने वाले पत्रकारों और लुटियंस की दिल्ली को जानने-समझने वालों को पता है कि अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के जमाने में दोनों नेताओं के अपने अपने खेमे थे। आडवाणी खेमे के चार सदस्यों को डी-फोर के नाम से जाना जाता था। इसमें अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, अनंत कुमार और वेंकैया नायडू शामिल थे। पहले तीन लोगों- जेटली, सुषमा और अनंत कुमार का निधन हो गया है। इन तीनों के साथ वेंकैया नायडू भी नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में मंत्री बने थे।
नरेंद्र मोदी को पता था कि आडवाणी की टीम के सदस्यों में अरुण जेटली को छोड़ कर बाकी नेता उनके साथ सहज नहीं हैं। सुषमा स्वराज ने तो 2013 में गोवा में हुए पार्टी के अधिवेशन में मोदी को भाजपा की चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाए जाने का खुला विरोध किया था। इसके बावजूद सभी चारों सदस्य केंद्र में मंत्री बने थे। लेकिन तीन साल बाद ही  2017 में वेंकैया नायडू को उप राष्ट्रपति बना दिया गया। अगले साल 2018 में अनंत कुमार का निधन हो गया और सुषमा स्वराज ने 2019 का चुनाव नहीं लड़ा। अरुण जेटली राज्यसभा में थे लेकिन सेहत की वजह से मोदी की दूसरी सरकार में मंत्री नहीं बने।
नरेंद्र मोदी की दूसरी सरकार बनने के थोड़े दिन के बाद ही थोड़े-थोड़े अंतराल पर जेटली और सुषमा दोनों का निधन हो गया। सो, आडवाणी की कोर टीम के आखिरी सदस्य वेंकैया नायडू हैं, जो 10 अगस्त को उप राष्ट्रपति पद से रिटायर हो रहे हैं। वैसे नरेंद्र मोदी अपने बारे में भी अक्सर कहते हैं कि आज वे जो भी हैं वह आडवाणी की वजह से हैं। उन्होंने एक लोकप्रिय टेलीविजन शो में कहा था कि मोदी को मोदी बनाने वाला आदमी लालकृष्ण आडवाणी हैं। लेकिन दिल्ली की राजनीति में आडवाणी की कोर टीम जेटली, सुषमा, अनंत कुमार और वेंकैया की ही थी। स्वर्गीय प्रमोद महाजन को अटल बिहारी वाजपेयी का करीबी माना जाता था तो राजनाथ सिंह स्वतंत्र रूप से राजनीति करते थे। वे दो बार अध्यक्ष रहे लेकिन किसी खेमे के साथ नहीं जुड़े थे।