March 29, 2024

अब नहीं लुभाते सपने


जहां तक भारत को विकसित देश बनाने की बात है, तो लाजिमी तौर पर ये बातें याद आईं कि प्रधानमंत्री इसी मंच से पहले उन्होंने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने और इसी वर्ष तक सबके पक्का मकान होने का वादा किया था।
प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस को संकल्प जताया कि अगले 25 वर्ष में- यानी 2047 तक भारत को विकसित देश बना दिया जाएगा। लेकिन उन्हें इस बात से संभवत: आश्चर्य हुआ होगा कि आम तौर पर उनकी सरकार के प्रति उत्साही रुख रखने वाले मेनस्ट्रीम मीडिया ने उनकी भाषण की एक दूसरी बात को ज्यादा अहमियत दी। उस बात का संबंध व्यावहारिक राजनीति से है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में भ्रष्टाचार और परिवारवाद को देश की प्रमुख समस्या बताया। मीडिया समीक्षकों ने इसे विपक्ष पर हमले के रूप में देखा और इसे मोदी के स्वतंत्रता दिवस संबोधन का ऑपरेटिव पार्ट माना। वैसे जहां तक भ्रष्टाचार की बात है, तो इससे भी भ्रम पैदा हुआ। अब तक सत्ता पक्ष का नैरैटिव यह रहा है कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार पर लगाम लगा लिया गया है।
अब अचानक खुद प्रधानमंत्री ने कहा कि यह देश की प्रमुख समस्या बना हुआ है। बहरहाल, जहां तक भारत को विकसित देश बनाने की बात है, तो लाजिमी तौर पर ये बातें याद आईं कि प्रधानमंत्री इसी मंच से पहले उन्होंने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने और इसी वर्ष तक सबके पक्का मकान होने का वादा किया था। वैसे लाल किले से अपने पहले संबोधन में उन्होंने जैसा स्वच्छ भारत बनाने का संकल्प लिया था, उसका भी असल हश्र क्या हुआ, यह अब सबके सामने है। इसीलिए मोदी ने जो नया सपना दिखाया, वह मोटे तौर पर लोगों को भुलाने में पहले जैसा कामयाब नहीं हुआ है। यह कहने का ये कतई अर्थ नहीं है कि आज मोदी लोकप्रिय नहीं हैं। लेकिन उनकी लोकप्रियता अब संभवत: ऐसे सपनों की वजह से नहीं, बल्कि उनके नेतृत्व में भाजपा की विकसित हुई राजनीति की नई शैली के कारण है, जिसमें समाज के विभिन्न समुदाय हमेशा आक्रोश और टकराव की मुद्रा में रहते हैँ। विपक्ष या भाजपा से असहमत लोगों की साख पर हमला इस सियासत का एक खास पहलू है। भ्रष्टाचार और परिवारवाद के जरिए प्रधानमंत्री ने इस सियासी जरूरत को पूरा किया। इसीलिए यही बात मीडिया की सुर्खियों में आई।