बढ़ने लगी हैं ईडी की उपयोगिता
ईडी के अस्तित्व में आने के पिछले 20 साल में कुल 5,422 मामले आजतक दर्ज हुए हैं, जिनमें से 65.66 फीसदी मामले पिछले आठ साल में दर्ज हुए हैं।
थोड़े समय पहले तक किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी का ऐसा इस्तेमाल हो सकता है कि केरल से कन्याकुमारी तक हडक़ंप मचा रहे और नेताओं की नींद उड़ी रहे। पहले आयकर विभाग और सीबाआई से नेता घबराते थे। ईडी का उनके जीवन में बहुत कम दखल था। लेकिन अब हर तरफ ईडी है। केंद्र सरकार ने खुद बताया है कि ईडी के इस्तेमाल में पांच गुना तक की बढ़ोतरी हो गई है। संसद के चालू सत्र में एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के पहले तीन साल के मुकाबले दूसरे कार्यकाल के पहले तीन साल में ईडी के मुकदमे पांच गुना बढ़ गए हैं। यह हैरान करने वाला आंकड़ा है। इससे ऐसा लग रहा है कि देश में सिर्फ एक ही एजेंसी काम कर रही है और वह है- ईडी!
सरकार की ओर से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 2014 से 2017 के बीच यानी मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के पहले तीन साल में ईडी ने धन शोधन के कुल 489 मामले दर्ज किए थे। यानी औसतन 163 मामले हर साल दर्ज हुए थे। जब मोदी सरकार दूसरी बार सत्ता में आई तो उसके बाद के तीन साल में यानी 2019 से 2022 के बीच धन शोधन के मामलों की संख्या बढ़ कर 2,723 हो गई। यानी हर साल औसतन नौ सौ से ज्यादा केस! सोचें, ऐसा क्या हो गया कि पांच साल तक ‘न खाऊंगा न खाने दूंगा’ की सरकार चलने के बाद हर साल धन शोधन के नौ सौ से ज्यादा मामले दर्ज होने लगे? कानून के जरिए ईडी के अस्तित्व में आने के पिछले 20 साल में कुल 5,422 मामले आजतक दर्ज हुए हैं, जिनमें से 65.66 फीसदी मामले पिछले आठ साल में दर्ज हुए हैं।
असल में पिछले कुछ समय में ईडी सबसे कारगर एजेंसी के तौर पर उभरी है। सीबीआई के इस्तेमाल को लेकर राज्यों ने बहुत सख्त स्टैंड लिया और कई राज्यों ने सीबीआई जांच के लिए दी गई जनरल कन्सेंट वापस ले ली। सीबीआई का गठन दिल्ली पुलिस विशेष कानून के तहत हुआ है इसलिए उसके इस्तेमाल में कई तकनीकी बाधाएं हैं। दूसरी ओर आयकर विभाग के इस्तेमाल में सख्ती की गुंजाइश कम है। ईडी के इस्तेमाल से ये दोनों बाधाएं दूर होती हैं। उसके लिए किसी की मंजूरी की जरूरत नहीं है और ईडी जब कहीं कार्रवाई करती है और नकदी जब्त करती है तो वह पीएमएलए की सख्त कानूनी धाराओं में तत्काल गिरफ्तार कर सकती है। इसलिए देश भर में ईडी की ही कार्रवाई चल रही है। आंकड़ों का और बारीक विश्लेषण होगा तो पता चलेगा कि ज्यादातर मुकदमे विपक्षी नेताओं और उनके करीबियों पर हुए हैं।