October 18, 2024

खास रिपोर्ट : रतन टाटा को 4 बार हुआ प्यार, लेकिन क्यों नहीं हुई शादी; खुद किया था खुलासा


मुंबई । रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को गुजरात के सूरत शहर में हुआ था. वे नवल टाटा और सूनी कमिसारीट के पुत्र थे। जब रतन 10 वर्ष के थे, तब उनके माता-पिता अलग हो गए थे, जिसके बाद उन्हें उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने गोद लिया। उनका बचपन कई चुनौतियों से भरा हुआ था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। टाटा की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल से हुई, जिसके बाद उन्होंने कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल और बिशप कॉटन स्कूल, शिमला में अपनी पढ़ाई जारी रखी। बाद में उन्होंने रिवरडेल कंट्री स्कूल, न्यूयॉर्क और कॉर्नेल विश्वविद्यालय से आर्किटेक्चर की डिग्री प्राप्त की। अपनी शिक्षा के दौरान उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से भी व्यवसायिक अध्ययन किया।
क्र्रञ्ज्रहृ ञ्ज्रञ्ज्र द्घद्गद्यद्य द्बठ्ठ द्यश1द्ग 4 ह्लद्बद्वद्गह्य : रतन टाटा ने अपने करियर की शुरुआत टाटा समूह में की, जो उनके परिवार द्वारा स्थापित कंपनी थी। 1991 में, जे.आर.डी. टाटा के सेवानिवृत्त होने के बाद, रतन टाटा ने टाटा समूह की बागडोर संभाली। उन्होंने अपने दूरदर्शी नेतृत्व और मेहनत के बल पर टाटा ग्रुप को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने कई अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण किए, जिनमें जगुआर लैंड रोवर, टेटली टी, और कोरस प्रमुख हैं। टाटा ने समूह को 100 से अधिक देशों में फैलाया और इसे एक वैश्विक ब्रांड में तब्दील कर दिया।

रतन टाटा के कार्यकाल के दौरान, टाटा समूह ने टाटा नैनो को लॉन्च किया, जो उस समय की सबसे सस्ती कार मानी जाती थी। इस परियोजना का उद्देश्य आम भारतीय के लिए एक किफायती वाहन उपलब्ध कराना था। हालांकि बाजार में यह कार बड़ी सफलता नहीं बन पाई, लेकिन रतन टाटा की इस सोच ने उन्हें आम जनता के करीब ला दिया।
रतन टाटा केवल एक उद्योगपति नहीं थे, बल्कि वे एक समाजसेवी और मानवतावादी भी थे। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने शिक्षा, स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से उन्होंने गरीब और वंचित समुदायों के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं का समर्थन किया। उनके सामाजिक और औद्योगिक योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा दो सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) से सम्मानित किया गया।
सीएनएन के साथ एक पुराने इंटरव्यू में रतन टाटा ने अपनी प्रेम कहानी के बारे में खुलासा किया कि उन्हें चार बार प्यार हुआ और हर बार शादी करने के करीब पहुंचे। हालांकि, परिस्थितियों ने उन्हें हमेशा पीछे हटने पर मजबूर किया। उन्होंने उस समय को याद किया जब वह अमेरिका में रहते हुए किसी से शादी करने वाले थे, लेकिन 1962 के भारत-चीन संघर्ष ने सब कुछ बदल दिया।
उस इंटरव्यू में टाटा ने बताया, जब मैं अमेरिका में काम कर रहा था, तब शायद यह सबसे गंभीर मामला था। हमारी शादी न होने का एकमात्र कारण यह था कि मैं भारत वापस आ गया था और उसे मेरे पीछे आना था। लेकिन वह भारत-चीन संघर्ष का वर्ष था। वह नहीं आई और उसने अंतत: अमेरिका में किसी और से शादी कर ली।
अभिनेत्री और टॉक शो होस्ट सिमी ग्रेवाल ने भी 2011 में टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में रतन टाटा को डेट करने की बात मानी थी। टाटा के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, वह परफेक्शन हैं, उनमें सेंस ऑफ ह्यूमर है, वह विनम्र हैं और एक परफेक्ट जेंटलमैन हैं। पैसा कभी भी उनकी प्रेरणा शक्ति नहीं रहा। हालांकि उनका रोमांस शादी तक नहीं पहुंचा, लेकिन दोनों करीबी दोस्त बने रहे।