जीत हार की पटकथा लिखने के लिए आतुर थी जनता
देहरादून( आखरीआंख ) उत्तराखण्ड में पिछले लंबे समय से चली आ रही अटकलें और कयासबाजियों के दौर पर आज उस समय विराम लग गया जब सुबह लोकसभा चुनाव को लेकर मतदान प्रक्रिया प्रारंभ हुई। मतदान स्थलों पर सुबह से लगी लंबी कतारें यह दर्शा रही थी कि लोकसभा चुनाव को लेकर आवाम में कितना उत्साह है और वह प्रत्याशियों के जीत हार की पटकथा लिखने के लिए कितनी आतुर है। उत्तराखण्ड की पांचों लोकसभा सीटों पर हो रहे चुनाव को वर्चस्व की जंग के रूप में देखा जा रहा है जिसमें राय के दिग्गज नेताओं का राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा माना जा रहा है। पिछले लंबे समय से यहीं देखने को मिला है कि लोकसभा चुनाव राय के प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा व कांग्रेस के बीच ही मुय रूप से लड़ा जाता है तथा अन्य राजनीतिक दल के प्रत्याशी व निर्दलीय प्रत्याशी तीसरे व चौथे स्थान के लिए ही अपने हाथ पांव मारते नजर आते है। इस द्विपक्षीय चुनावी जंग में जहां एक तरफ जहां टिहरी संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी निवर्तमान सांसद माला राय लक्ष्मी शाह पर इतिहास को दौहराने का टास्क मिला हुआ है, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम सिंह पर अपनी छवि के प्रभुत्व जीत में बदलने का जिमा। पूर्व मुयमंत्री भगत सिंह कोश्यारी की विरासत कहे जाने वाली नैनीताल सीट जोकि वर्तमान समय में सबसे यादा हॉट सीट मानी जा रही है वहां भी सीधी टक्क भाजपा व कांग्रेस के बीच देखी जा रही है। इस सीट पर चुनाव लडऩे वाले भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों बीच एक समानता है कि वह दोनों वर्ष 2017 में अपनी-अपनी विधानसभाओं से चुनाव हारे थे। विधानसभा चुनाव में मिली हार के जमों पर इन दोनों में से कौन नैनीताल को फतह करके मरहम लगा पाएगा यह तो आने वाला भविष्य ही बताएगा? हरिद्वार संसदीय सीट को अगर छोड़ दें तो बाकी चारों सीटों पर मुकाबला द्विपक्षीय ही नजर आ रहा है? हरिद्वार सीट के समीकरणों में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है क्योंकि यहां पर भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों के अलावा बसपा-सपा के गठबंधन का एक प्रत्याशी भी मैदान में उतरा हुआ है और जिसके बारे में कहा जा रहा है कि वह चुनावी समीकरण बिगाडऩें में एक अहम रोल निभा सकता है? खैर लंबे इंतजार के बाद आज उत्तराखण्ड में लोकसभा चुनाव संपन्न हो गए और प्रदेश की राजनीति में उंचा कद व बड़ा रसूख रखने वाले प्रत्याशियों का भविष्य ईवीएम में सील हो गया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि आवाम ने किसके नाम का बटन दबाया है और किसकी हार व जीत की पटकथा लिखी है।
लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान को लेकर प्रक्रिया आज प्रात: सात बजे से प्रारंभ हो गई। अपने देश की नई सरकार को चुनने के लिए मतदाता में एक खासा उत्साह देखने को मिला। उत्तराखण्ड की पांच लोकसभा सीटों को लेकर भी प्रथम चरण में ही मतदान शुरू हुआ। राय के सभी जिलों में जैसे ही मतदान प्रक्रिया शुरू हुई तो जनता ने बढ़ चढ़कर इसमे हिस्सा लेना शुरू किया। उत्तराखण्ड में राजनीतिक दृष्टिकोण से यह लोकसभा चुनाव कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे है क्योंकि राय के प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस व भाजपा ने प्रत्याशी मैदान में उतारे है उनकी व्यक्तिगत व राजनीतिक प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है? राय की सबसे यादा हॉट माने जाने वाली नैनीताल लोकसभा सीट पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट व पूर्व मुयमंत्री हरीश रावत के बीची सीधी टक्कर देखने को मिल रही है। जहां एक ओर भाजपा प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने का नारे का सहारा लेते हुए नजर आए, वहीं हरीश रावत भावनात्मक कार्ड खेलते हुए जनता को अपनी उस कथित गलती को सुधारने की बात कहते हुए नजर आए थे जोकि उन्होंने विधानसभा चुनाव में संभवत: की थी? टिहरी सीट पर भाजपा प्रत्याशी माला राय लक्ष्मी शाह व कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम सिंह के बीच ही सीधी चुनावी भिड़ंत देखने को मिल रही है। जहां एक ओर भाजपा प्रत्याशी ने ‘नमोÓ राग अलापा था वहीं दूसरी कांग्रेस प्रत्याशी ने व्यक्तिगत छवि को भुनाने की कोशिश की थी। पूर्व मुयमंत्री बी0सी0 खण्डूरी का साम्राय कहे जाने वाली पौड़ी संसदीय सीट पर उनके पुत्र मनीष खण्डूरी व परम शिष्य तीरथ सिंह रावत के बीच कांटे का मुकाबला है। अब देखने वाली बात यह होगी कि पूर्व सीएम के साम्राय के नए उत्तराधिकारी के रूप में जनता ने किसे चुना है। अल्मोड़ा सीट पर ‘जात भाईयोंÓ के बीच आमने सामने की टक्कर है? हरिद्वार सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है क्योंकि यहां भाजपा के प्रत्याशी के रूप में निवर्तमान सांसद रमेश पोखरियाल निशंक है जिनका मुकाबला कांग्रेस के प्रत्याशी अंबरीश कुमार के साथ माना जा रहा था लेकिन बसपा-सपा गठबंधन के प्रत्याशी अंतरिक्ष सैनी ने चुनावी जंग को दिलचस्प बना दिया है। राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो बसपा व सपा के पास राय में खाने के लिए कुछ नहीं है लेकिन इन लोकसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के जिस भी प्रत्याशी को शिकस्त मिलेगी, उसके राजनीतिक भविष्य पर संकट के बादल जरूर मंडारने लग जाएंगे? बहरहाल, मतदान हो चुके है और आवाम ने अपने पसंदीदा प्रत्याशी को अपना वोट दे दिया है और चुनाव मैदान में कूदे उत्तराखण्ड के दिग्गज राजनेताओं का भविष्य ईवीएम में कैद हो गया है। आवाम ने किस प्रत्याशी की जीत हार की पटकथा लिखी है इसका पता तो अब 23 मई को ही चलेगा।