त्वरित टिप्पणी ; आधी लड़ाई जीती है, आधी अभी बाकी है : मनोज ध्यानी
देहरादून । 535 दिनों से हम लोग गैरसैंण को स्थाई और पूर्णकालिक राजधानी बनाने के लिए संघर्ष में लगे हुए हैं| उत्तराखंड राज्य अवधारणा की मांग थी कि उत्तराखंड राज्य बने और उसकी राजधानी गैरसैंण बने| इस दौरान उत्तराखंड राज्य के अनेकों क्षेत्रीय संगठनों, क्षेत्रीय दल और गैरसैंण राजस्थानी निर्माण अभियान ने एक अभियान छेड़ा की गैरसैंण स्थाई और पूर्णकालिक राजधानी उत्तराखंड की बने| 17 सितंबर 2018 से लगातार धरना स्थल पर हमारे साथी बैठे हुए हैं और आज भी हमारे आंदोलनकारी न केवल देहरादून में बल्कि आदि बद्री धाम में भी इन्हीं मांग को लेकर बैठे हुए हैं| गैरसैण राजधानी के विषय में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने को लेकर वर्तमान मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी ने विधानमंडल के भीतर घोषणा की है – उसका हम इस रूप में स्वागत करते हैं कि हमने एक सीढी और पार की है| इससे पूर्व श्री सतपाल महाराज, श्री विजय बहुगुणा और श्री हरीश रावत जी के कार्य काल में विशेष रूप में विधान मंडल भवन एवं अन्य अवस्थापना विकास के कार्य भराड़ीसैंण में संपन्न हुए हैं| और इसी कड़ी में एक और ऐतिहासिक कदम हुआ है कि उत्तराखंड की राजधानी गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में घोषणा की गई है| हम इसे अपनी आधी जीत मानते हैं और इस रूप में देख रहे हैं की आधी लड़ाई जीती है, आधी अभी बाकी है| हम गैरसैंण को स्थाई और पूर्णकालिक राजधानी बनाने तक संघर्ष में बने रहेंगे ; बावजूद हम वर्तमान कदम का स्वागत भी कर रहे हैं ।