October 6, 2024

मद्यनिषेध नीति नही बनाये जाने पर सचिव आबकारी के खिलाप अवमानना नोटिस जारी

 

बागेश्वर।   गरुड़ निवासी अधिवक्ता डीके जोशी द्वारा दाखिल अवमानना याचिका में आज न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकल पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। जिसमें सचिव आबकारी के खिलाप अवमानना नोटिस जारी करने का आदेश दिया गया।

याचीकर्ता के द्वारा हाई कोर्ट नैनीताल में पूर्व में दाखिल जनहित याचिका में 29 अगस्त 2019 को हाई कोर्ट ने 6 महीने के भीतर मद्यनिषेध पर आबकारी अधिनियम की धारा 37 (क) के प्रावधानों के क्रियान्वयन द्वारा नीति बनाये जाने के स्पष्ठ आदेश पारित कर अहम फैसला दिया था। इस सम्बंध में याचिकर्ता द्वारा मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन, सचिव आबकारी व आयुक्त आबकारी को 19 सितंबर 2019 को हाई कोर्ट के निर्णय की कॉपी भेज दी गयी थी लेकिन अभी तक सरकार के द्वारा हाई कोर्ट के निर्देशों का पालन नही हुआ है जबकि 29 फरवरी 2020 को 6 महीने की समय सीमा पूरी हो गयी।

जनहित याचिका डीके जोशी बनाम राज्य व अन्य में पारित निर्णय 29 अगस्त 2019 जिसमे उत्तराखंड में शराब बिरोधी आंदोलन को समान्नित करने वाला फैसला हाई कोर्ट नैनीताल से 29 अगस्त 2019 को आ गया था।

राज्य साकार को 29 अगस्त के इस फैसले में मद्यनिषेध हेतु *चरणबद्ध तरीके से पूर्ण शराबबंदी हेतु नीति बनाने* का बहुत ऐतिहासिक आदेश दिया था

प्रदेश में संचालित सभी शराब *दुकान व बार रेस्टोरेंट में IP address युक्त CCTV* लगाने के भी आदेश दिए गए थे।

*21 वर्ष से कम* आयु वाले व्यक्ति को शराब सेवन खरीदने के *प्रतिबंध को सख्ताई से पालन* करने हेतु निर्देश जारी किए गए थे।

साथ ही राज्य सरकार को सख्त निर्देश जारी किए गए थे कि *बद्रीनाथ,केदारनाथ,गंगोत्री,यमनोत्री,पूर्णागिरी,रीठा साहेब,हेमकुंड साहेब व नानकमत्ता तीर्थ स्थलों में शराब बंदी* लागू करे।

हाई कोर्ट अधिवक्ता  डी के जोशी के  अनुसार अवमानना याचिका में सचिव आबकारी व आयुक्त आवकारी को पक्षकार बनाया गया है और कहा गया है कि हाई कोर्ट के आदेशों का पालन सरकार व आबकारी विभाग द्वारा अभी तक नही किया गया है जिसके लिए जिम्मेदार अधिकारीरियो को माननीय न्यायालय की अवमानना का दोषी मानकर दंडित किया जाना न्याय हित मे जरूरी है।