भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में लाखों टन अनाज हो रहा बर्बाद
-वर्ष 2004-05 में सर्वाधिक 97113 टन और वर्ष 2019-20 में सबसे कम 1930 टन अनाज बर्बाद हुआ
देहरादून। एक ओर देश में बड़ी जनसंया कुपोषण तथा भूख से त्रस्त हैै वही दूसरी ओर भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में लाखों टन अनाज बर्बाद हो रहा है। वर्ष 2003-04 से 2020-21 (जुलाई तक) कुल 4 लाख 34 हजार 638 टन खाने का अनाज बर्बाद हो चुका है। यह खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट को भारतीय खाद्य निगम द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ। काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने भारत सरकार के खाद्य विभाग से देश मेंं अनाज की बर्बादी व खराब होने के वर्षवार आंकड़ों के विवरण की सूचना मांगी थी इसके उत्तर में भारतीय खाद्य निगम के मुयालय के केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी/उप महा प्रबंधक (गु.नि.) संजीव कुमार ने अपने पत्रांक 29 दिनांक 18-08-2020 से वर्ष 2003-04 सेे जुलाई 2020 तक के उपभोग जारी होनेे योग्य न रहने वाले खाद्य अनाजों केे वर्षवार आंकड़े उपलब्ध कराये हैै। श्री नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार वर्ष 2003-04 से 2020-21 (31 जुलाई 2020) तक कुल 4 लाख 34 हजार 638 टन देश का अनाज बर्बाद हुआ है व जारी होने या उपभोग योग्य नहीं रहा हैै जबकि सबसेे कम अनाज 1930 टन वर्ष 2019-20 में बर्बाद हुआ है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार कोरोना काल में भी वर्ष 2020-21 में अप्रैैल से जुलाई 2020 तक 1521 टन खाद्य अनाज बर्बाद हुआ हैै जबकि वर्ष 2019-20 में पूरे वर्ष में 1930 टन अनाज ही बर्बाद हुआ था। उपलब्ध आंकड़ों में सर्वाधिक 97113 टन अनाज वर्ष 2004-05 में तथा 95075 टन वर्ष 2005-06 में बर्बाद हुआ है। तीसरे स्थान पर वर्ष 2003-04 में 76262 टन अनाज बर्बाद हुआ हैै। अन्य वर्षों के अनाज की बर्बादी के आंकड़ों के अनुुसार वर्ष 2006-07 में 25553 टन, 2007-08 में 34426 टन, 2008-09 में 20114 टन, 2009-10 में 6702 टन, 2010-11 में 6346 टन, 2011-12 में 3338 टन, 2012-13 में 3148 टन, 2013-14 में 24695 टन, 2014-15 में 8776 टन, 2017-18 में 5213 टन, 2019-20 में सबसे कम 1930 टन तथा 2020-21 मेेें जुुलाई 20 तक चार माह में 1521 टन खाने का अनाज बर्बाद हुआ है। श्री नदीम ने बताया कि यह आंकड़े केवल भारतीय खाद्य निगम के द्वारा किसानों से खरीदेे गयेे खाने के अनाजों की वर्ष 2003-04 से 17 वर्षों की बर्बादी के है। अन्य स्थानों पर व पहले हुई अनाज की बर्बादी केे आंकड़े तो उपलब्ध ही नहीं कराये गये हैं। इसकी सूचना केे लिये अपील की गयी हैै।