सीएम तीरथ को भीमताल से चुनाव लडऩे का न्यौता
देहरादून। कैबिनेट मंत्री डा. हरक सिंह रावत, बद्रीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट के बाद अब निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा ने मुयमंत्री तीरथ सिंह रावत को भीमताल से चुनाव लडऩे का न्यौता दिया है। विधायक कैड़ा भाजपा का एसोसिएट सदस्य भी हैं। बकौल कैड़ा, उन्होंने सीएम तीरथ रावत की कुशल क्षेम पहुंची और कहा कि यदि वे भीमताल विधानसभा क्षेत्र से उप चुनाव लडऩा चाहते हैं तो वे सीट छोडऩे के लिए तैयार हैं। कहा कि अगर सीएम तीरथ भीमताल से चुनाव लड़ते हैं तो निश्चित रूप से विधानसभा क्षेत्र ओखलकांडा, धारी, रामगढ़ आदि का विकास होगा। कैड़ा ने कहा कि उनकी हार्दिक इछा यही है कि विधानसभा क्षेत्र का विकास हो, ताकि क्षेत्र के लोगों को सहूलियत मिल सके। उन्होंने कहा कि पूर्व में सीएम रहते एनडी तिवारी से रामनगर से उप चुनाव लड़ा था। इसके बाद रामनगर में सीएम तिवारी ने बंपर विकास कार्य कराएं। सीएम तीरथ को कई विधायक अब तक अपनी सीटों से चुनाव लडऩे का न्यौता दे चुके हैं, लेकिन उन्होंने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। आपको बता दें कि सीएम तीरथ अभी पौड़ी से सांसद हैं और उन्हें छह महीने के अंदर विधानसभा की सदस्यता लेनी होगी। बता दें कि सबसे पहले बद्रीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट सीएम तीरथ सिंह रावत के लिए अपनी सीट छोडऩे के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं तीरथ सिंह रावत मेरी विधानसभा के चुनाव लड़कर वहां का विकास करें। खुद की मंत्री पद को लेकर दावेदारी की चर्चाओं पर लेकर उन्होंने कहा कि यह काम पार्टी नेतृत्व का होता है, नेतृत्व जो कहेगा हम उसके लिए तैयार हैं। बद्रीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट तीरथ सिंह रावत सरकार में मंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। इससे पहले गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत की सीएम पद पर ताजपोशी करके भाजपा हाईकमान ने ब्राह्मण और ठाकुर समीकरण को भी साधा। त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाकर भाजपा प्रदेश संगठन के समीकरण को बने रहने दिया है। यदि सीएम पद पर ब्राह्मण की नियुक्ति होती तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर परिवर्तन तय था। टीएसआर की जगह टीएसआर को ही सिंहासन सौंप भाजपा ने जातीय समीकरण बरकरार रखा। राय की जातीय राजनीति में तीरथ की छवि समभाव वाले राजनेता की है। पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी के राजनीतिक शिष्य माने जाने वाले तीरथ ने अपने जीवन का लंबा समय उनके सानिध्य में ही गुजारा है। वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान तीरथ की जीत में मोदी लहर तो एक फैक्टर थी ही, साथ ही खंडूड़ी का आशीर्वाद भी उनके पक्ष में गया। दिलचस्प बात यह है कि इस चुनाव में खंडूड़ी के बेटे मनीष खंडूड़ी कांग्रेस के टिकट पर अपने पिता की परंपरागत सीट पर चुनाव लड़ रहे थे। अपने शिष्य के समान में खंडूड़ी ने न तो कभी अपने बेटे के पक्ष में चुनाव प्रचार ही किया और ना ही कभी ऐसा बयान दिया, जिससे तीरथ सिंह रावत को नुकसान पहुंचता।