पहली सुनवाई में बोला सुप्रीम कोर्ट – अगर रिपोर्ट सही तो आरोप काफी गंभीर हैं – पेगासस मामला
नई दिल्ली ,। पेगासस कथित जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध करने वाली 9 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज एकसाथ सुनवाई हुई। इन याचिकाओं में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकारों एन. राम तथा शशि कुमार द्वारा दी गई अर्जियां भी शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर मीडिया रिपोर्ट्स सही हैं तो ये आरोप काफी गंभीर हैं। मामले में जनहित याचिका दाखिल करने वाले वकील एम एल शर्मा ने सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल को रोका तो सीजेआई ने इस पर आपत्ति जताई। सीजेआई रमना ने शर्मा से कहा, आपकी याचिका में अखबारों की कटिंग के अलावा क्या डिटेल है? आप चाहते हैं कि सारी जांच हम करें और तथ्य जुटाएं। ये जनहित याचिका दाखिल करने का कोई तरीका नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने दलील दी कि पत्रकार, सार्वजनिक हस्तियां, संवैधानिक प्राधिकरण, अदालत के अधिकारी, शिक्षाविद सभी स्पाइवेयर द्वारा टारगेटेड हैं और सरकार को जवाब देना होगा कि इसे किसने खरीदा? हार्डवेयर कहां रखा गया था? सरकार ने एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की?
याचिकाकर्ता एन.राम और अन्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यह स्पाइवेयर केवल सरकारी एजेंसियों को बेचा जाता है और निजी संस्थाओं को नहीं बेचा जा सकता है। एनएसओ प्रौद्योगिकी अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में शामिल है। उन्होंने आगे कहा कि पेगासस एक दुष्ट अथवा कपटी तकनीक है, जो हमारी जानकारी के बिना हमारे जीवन में प्रवेश करती है। यह हमारे गणतंत्र की निजता, गरिमा और मूल्यों पर हमला है।
बता दें कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने एक खबर में दावा किया है कि 300 सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस स्पाईवेयर के जरिये जासूसी के संभावित निशाने वाली सूची में शामिल थे। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने अपनी अर्जी में अनुरोध किया है कि पत्रकारों और अन्य के सर्विलांस की जांच कराने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाए।
गिल्ड ने अपनी अर्जी, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे भी याचिकाकर्ता हैं, में कहा है कि उसके सदस्य और सभी पत्रकारों का काम है कि वे सूचना और स्पष्टीकरण मांग कर और राज्य की कामयाबी और नाकामियों का लगातार विश्लेषण करके सरकार के सभी अंगों को जवाबदेह बनाएं। न्यायालय वरिष्ठ पत्रकार प्रांजय गुहा ठकुराता की ओर से दायर याचिका पर भी सुनवाई करेगा। उनका नाम उस कथित सूची में शामिल है जिनकी पेगासस की मदद से जासूसी की जा सकती थी।
पत्रकार ने अपनी अर्जी में अनुरोध किया है कि शीर्ष अदालत केन्द्र सरकार को जांच से जुड़ी सभी सामग्री सार्वजनिक करने का निर्देश दे। ठकुराता ने अपनी अर्जी में कहा है कि पेगासस की मौजूदगी का भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, उन्होंने न्यायालय से स्पाईवेयर या मालवेयर के उपयोग को गैरकानूनी और असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया है।
वहीं, जनहित याचिका में यह मांग भी की गई है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को आदेश दे कि वह बताए कि आखिर उसने पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल करने का आदेश लिया है या नहीं। याचिका में कहा गया है कि यह मिलिट्री स्पायवेयर है और इसका आम नागरिकों पर इस्तेमाल होना स्वीकार नहीं किया जा सकता। अर्जी में कहा गया है कि इस तरह की जासूसी निजता के अधिकार का उल्लंघन है, जिसे संविधान के आर्टिकल 14 में मूल अधिकार बताया गया है। इसके अलावा अभिव्यक्ति और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकारों का भी यह हनन है।