उत्तराखंड में बाघ का आतंक : बाघ के भय से स्कूल बंद,धारा 144 व रात्रि कर्फ्यू लगा, प्रभावित डल्ला गांव में लगाए लाइव कैमरे
पौड़ी। धुमाकोट और रिणीखाल के बाघ प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीणों में बाघ की दहशत बनी हुई है। हादसे के आठ दिन बाद भी बाघ को पकड़ने में अभी तक कोई सफलता हाथ लग नहीं पाई। वन विभाग के गढ़वाल सहित लैंसडौंन और कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग ने यहां डेरा डाला हुआ है। बाघ को पकड़ने की अभी तक की रणीनीति सफल नहीं हुई। बाघ के एक के बाद दो हमलों के कारण यहां जनजीवन अस्त-व्यस्त है। प्रशासन ने पहले ही 25 से अधिक गांवों के स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद करवाते हुए यहां धारा 144 के साथ ही रात्रि कर्फ्यू लगाया हुआ है। वन विभाग के साथ ही राजस्व की टीमें भी यहां तैनात की गई है। डल्ला में सक्रिय बाघ को पकड़ने के लिए मचान का भी बनाया गया लेकिन बाघ मचान के आस-पास आया नहीं। ड्रोन और ट्रैपिंग कैमरों के बाद अब यहां वन विभाग ने चार लाइव कैमरे लगाएं हैं। अभी तक इस क्षेत्र में 20 ट्रैपिंग कैमरों के जरिए घूम रहे बाघ की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। ट्रैपिंग कैमरों के डाटा लेने के बाद ही बाघ की गतिविधि के बारे में पता चल रहा था, लेकिन अब लाइव कैमरे लग जाने के बाद बाघ की लोकेशन का पता करने में कोई समय जाया नहीं होगा। वन महकमे ने बाघ को ट्रैंक्यूलाइज करने की कोशिश कर रहा है ताकि इस क्षेत्र को बाघ के आंतक से निजात दिलाई जा सके,लेकिन अभी तक इसमें सफलता हाथ नहीं आई। गढ़वाल वन प्रभाग के डीएफओ स्वनिल अनिरुद्ध ने बताया कि बाघ की गतिविधियों पर टीमें लगातार नजर रख रही है। टीमों को यहां शिफ्ट में तैनात किया जा रहा है और हर दिन रणीनीति भी बदली जा रही है। डीएफओ के मुताबिक बाघ के फुट प्रिंट मिले हैं। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां दो बाघ हैं। जिसमें एक मादा और दूसरा नर है। बताया कि बाघ प्रभावित क्षेत्र डल्ला में अब वन्य जीव विशेषज्ञों की टीम भी आ रही है, जो बाघ की गतिविधि को लेकर पूरी जानकारी जुटाएगी। टीम से काफी मदद मिलने की उम्मीद है।