September 20, 2024

2026 तक ऋषिकेश और कर्णप्रयाग के बीच दौड़ेगी रेलगाड़ी


देहरादून ।  उत्तराखंड में सपनों की रेल 2026 में पहाड़ चढ़ेगी। रेल विकास निगम (आरवीएनएल) ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना में 28 सुरंगों का 70 काम पूरा कर लिया है। 2025 में सभी सुरंगों का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। शुक्रवार को हरिद्वार बाईपास मार्ग स्थित कार्यालय में चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर अजीत सिंह यादव ने निर्माण कार्यों की प्रगति साझा की। उन्होंने बताया, 125 किलोमीटर रेलवे ट्रैक को पूरा करने के लिए तेजी से काम जारी है। 60 किमी में सुरंगों का निर्माण पूरा कर लिया गया है, जबकि बाकी हिस्से में भी युद्धस्तर पर निर्माण कार्य जारी है। 16 रेल पुलों में से भी चार बनकर तैयार हो गए हैं। श्रीनगर, गौचर और कलेश्वर-सिवाई में रेलवे स्टेशन को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने को मोटर ब्रिज बन चुके हैं। यह पूरी परियोजना हिमालय क्षेत्र में है। इसकी भू-गर्भीय संरचनाओं में हर दूरी पर बदलाव देखने को मिलता है, जो निर्माण कार्य में चुनौती है।
इसके बावजूद इंजीनियर हर बाधा दूर करके सुरंग निर्माण के लिए तेजी से जुटे हुए हैं। 2025 में सभी सुरंगों का निर्माण पूरा कर 2026 में कर्णप्रयाग तक रेल उपलब्ध करा दी जाएगी। इस अवसर पर जीएम हेमेंद्र कुमार, एजीएम ओमप्रकाश मालगुडी, अजय कुमार, पामीर अरोड़ा आदि शामिल रहे।
रेल प्रोजेक्ट में हर सुरंग को डब्ल्यूटीपी लगाने के निर्देश:  आरवीएनएल ने रेल परियोजना के लिए सुरंग के निर्माण के दौरान निकलने वाले पानी का ट्रीटमेंट कर नदियों में प्रवाहित करने के निर्देश दिए हैं, जिसके लिए हर निर्माण एजेंसी को सुरंग के पास वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं। चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर के मुताबिक कुछ जगह प्लांट लग चुके हैं। और कुछ पर बाकी है। निर्धारित वक्त में एजेंसी प्लांट नहीं लगाती है तो उस पर न सिर्फ पेनल्टी की

कार्रवाई होगी, बल्कि कानूनी कार्रवाई पर भी विचार करेंगे। प्लांट निर्माण तक सुरंगों से निकलने वाले पानी को स्टोर करने के लिए भी कहा गया है। यह कदम पर्यावरण संरक्षण के तहत उठाया गया।
नुकसान की भरपाई को चार जिलों में टीमें गठित :  आरवीएनएल ने रेल परियोजना से जुड़े चार जिले, जिनमें टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली में अलग-अलग टीमें गठित की हैं। यह टीम सुरंग और अन्य निर्माण के दौरान प्रभावित होने वाले गांव आदि जगह नुकसान पर न सिर्फ फौरन पहुंचती है, बल्कि इसका आकलन कर जिला प्रशासन के जरिये मुआवजा भी दे रही है।

जन सुविधाओं के लिए दिए गए 13 करोड़ :  आरवीएनएल ने उत्तराखंड में जन सुविधाओं के लिए सीएसआर मद से 13 करोड़ 64 लाख 92 हजार रुपये दिए हैं। टिहरी में मधुमक्खी पालन, रुद्रप्रयाग में निराश्रित पशुओं के लिए आश्रय, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, जीआईसी श्रीनगर, केदारनाथ धाम और स्कूलों की मरम्मत शामिल है।
समर्थन दें :  चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर अजीत सिंह यादव ने कहा कि इस प्रोजेक्ट से पहाड़ में आवागमन सुरक्षित होगा। लिहाजा, इससे किसी तरह की दिक्कत होने पर लोग धरना-प्रदर्शन की बजाय वह सीधे समस्या बताएं, तो बेहतर होगा। इससे त्वरित निस्तारण किया जाएगा।