November 22, 2024

माफिया अतीक के वफादार कुत्ते डैनी की भुखमरी से हुई मौतएक इशारे पर मरोड़ देता था दुश्मन की गर्दन


प्रयागराज । माफिया अतीक अहमद की हत्या के बाद उसका कुनबा बिखर चुका है। मंगलवार रात उसके सबसे वफादार कुत्ते डैनी ने भी दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि भुखमरी के शिकार डैनी की तड़पकर मौत हो गई। किसी समय अतीक के इशारे पर डैनी दुश्मनों की गर्दन पकड़ लेता था। अतीक की हत्या के बाद उसके दो कुत्तों की भी इसी तरह मौत हो गई थी। अब उसके दो कुत्ते बचे हैं जिन्हें पशु प्रेमियों ने पनाह दी है।
अतीक अहमद विदेशी नस्ल के कुत्ते पालने का शौकीन था। उसने ग्रेड डेन नस्ल के पांच कुत्ते पाल रखे थे। इसमें दो फीमेल और तीन मेल कुत्ते थे। इनका अतीक से बेहद खास लगाव था। कोठी में रहने के दौरान ये कुत्ते हर वक्त अतीक के आसपास ही रहते थे। उसके एक इशारे पर वो किसी भी गर्दन मरोड़ देते थे। बाहर से घर लौटने पर अतीक सबसे पहले इन्हीं कुत्तों से मिलता था और उनके साथ करीब एक घंटा समय बिताता था। स्थानीय लोगों के मुताबिक यह कुत्ते देखने में इतने खतरनाक थे कि कोई कोठी के भीतर कदम रखने से पहले सौ बार सोचता था।
पुलिस के मुताबिक प्रतिबंधित व खूंखार नस्ल के इन कुत्तों को पालने के लिए अतीक ने लंबे समय तक कोई लाइसेंस नहीं लिया था। बहुत आपत्ति होने पर उसने कुत्तों का नगर निगम में रजिस्ट्रेशन करवाया था। उसमें डैनी को बैच नंबर 452 दिया गया था। जबकि सैम और कल्लू को बिल्ला नंबर 453 और 460 अलॉट हुआ था। अतीक की हत्या के बाद उसके कुत्ते सदमे में आ गए। उसके सबसे करीब रहने वाले ब्रूनो और ब्राउनी टाइगर ने अतीक की हत्या के कुछ दिन बाद ही दम तोड़ दिया था। इसके बाद परिवार के सदस्यों से लेकर नौकर तक फरार हुए तो बचे हुए तीन कुत्ते खानाबदोश हो गए। उनकी देखभाल तो दूर दो वक्त का निवाला देने वाला भी कोई नही रह गया। कुछ समय बाद नगर निगम ने इन्हे संरक्षण दिया। लेकिन बेहद लाड-प्यार से पले इन कुत्तों की नगर निगम ठीक से परवरिश नहीं कर सका। इसकी वजह से मंगलवार को डैनी की मौत हो गई। बाकी बचे दो कुत्तों को पशु प्रेमियों ने गोद ले लिया है।

पुलिस व स्थानीय लोगों के मुताबिक अतीक कुत्तों की देखभाल के लिए नौकरों की फौज रहती थी। इन्हें मंहगे शैंपू से नहलाया जाता था और दोनों वक्त परफ्यूम लगता था। खाने में हर रोज की डाइट फिक्स थी। इन्हें रोजाना पांच किलो चिकन और सप्ताह में दो दिन मटन दिया जाता था। लेकिन माफिया के अंत के साथ ही इन बेजुबानों के खाने के लाले पड़ गए। चिकन, मटन तो दूर सूखी रोटी भी मयस्सर नही हो रही थी। हालात ऐसे हुए कि भूख से तड़पते हुए एक-एक के बाद एक तीन कुत्तों ने दम तोड़ दिया। नगर निगम के पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डा. विजय अमृतराज के मुताबिक अतीक के विदेशी नस्ल के तीसरे कुत्ते डैनी के की मौत बीमारी से हुई है। बचे हुए दो अन्य कुत्तों की जल्द ही नसबंदी कराई जाएगी।
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