खेल के लिए युवाओं को छोड़ना पड़ रहा पहाड़
हल्द्वानी । क्रिकेट के मैदान में खुद को साबित करने के लिए युवाओं को अपना गांव, पहाड़ छोड़ना पड़ रहा है। पहाड़ में मैदान की कमी और खेल विशेषज्ञों के अभाव के कारण मैदानी क्षेत्र के युवाओं के साथ प्रतिस्पर्धा आसान नहीं है। इसलिए पहाड़ के दूरस्थ गांवों के युवा अब देहरादून, दिल्ली का रुख कर रहे हैं। मगर अपने सपने को पूरा करने के लिए युवाओं को महंगी कीमत भी चुकानी पड़ रही है। हर साल सैकड़ों युवा सुविधाओं के अभाव में खेल के लिए घर छोड़ने को मजबूर हैं। क्रिकेट में आज हर युवा महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली, रोहित शर्मा, जसप्रीत बुमराह, शुभमन गिल, यशस्वी जायसवाल की तरह आईपीएल और देश के लिए खेलना चाहता है। पहाड़ में भी युवा इसके लिए खूब मेहनत कर रहे हैं, लेकिन खेतों में खेलकर क्रिकेट के मैदान में राज करना आसान नहीं है। हरिद्वार में पढ़ाई के साथ क्रिकेट की कोचिंग ले रहे गौचर निवासी गौरव शाह कहते हैं कि पहाड़ में सरकार की ओर से क्रिकेट की कोई सुविधा नहीं है। गौचर मैदान में टूर्नामेंट खेलते थे, लेकिन सिखाने वाला कोई नहीं था। हरिद्वार में आकर पढ़ाई करने लगा। क्रिकेट से प्यार था तो यहां एक एकेडमी भी ज्वाइन कर ली। तब पता चला कि हम लोग कितने पीछे हैं। जिस तरह से यहां बारीकियां सिखाई जाती हैं, वह पहाड़ में खेत या छोटे-छोटे मैदान में खेलकर नहीं सीखी जा सकती।
चमोली जिले में मैदान तो तीन हैं, लेकिन विशेषज्ञ नहीं हैं। इस कारण कई अन्य युवा भी हरिद्वार, देहरादून में आकर ट्रेनिंग ले रहे हैं। वहीं चंडीगढ़ में कोचिंग कर रहे ऋषभ सिंह नेगी ने बताया कि वह गैरसैंण के निवासी हैं। बचपन में वो खेतों में खेलते थे, लेकिन बाद में चंडीगढ़ जाकर कोचिंग करने लगे। आज भी गांव जाते हैं, तो वहां खेत में ही टूर्नामेंट होते हैं। लेकिन उनको क्रिकेट की बारीकियों, तकनीकी का बेसिक ज्ञान तक नहीं होता। इसलिए अब युवा पहाड़ से बाहर निकल रहे हैं। अल्मोड़ा के चौखुटिया क्षेत्र से आए कुंदन का कहना है कि उन्होंने तो टर्फ विकेट भी हल्द्वानी आकर ही देखा है। पहाड़ में तो खेतों में ही मैच खेल लेते हैं। अगर सुविधा पहाड़ में मिले तो फिर कोई बाहर क्यों जाएगा।
राज्य सरकार के प्रदेश में सिर्फ दो मैदान
खेल विभाग पहाड़ में खेलों को बढ़ावा देने, खेल मैदान बनाने के बड़े-बड़े दावे जरूर करता है। तमाम बड़े नेता, मंत्री क्रिकेट के आयोजनों में नजर आ जाते हैं, लेकिन देहरादून और हल्द्वानी के अतिरिक्त पहाड़ में क्रिकेट मैदान बनाने के लिए सोचते तक नहीं। जबकि पहाड़ से देश को कई नायाब क्रिकेटर मिल चुके हैं। इसके बावजूद क्रिकेट मैदान, क्रिकेट कोच तक का इंतजाम राज्य सरकार नहीं कर पा रही है।
कोट-
अल्मोड़ा व हल्द्वानी में क्रिकेट की टर्फ मैदान तैयार हो रहे हैं। पर्वतीय क्षेत्रों के जिला मुख्यालयों में भी क्रिकेट के बेहतर मैदान बनाने की योजना तैयार की जा रही है। शासन से मंजूरी मिलते ही पर्वतीय क्षेत्रों में भी युवाओं को क्रिकेट की बेहतर सुविधाएं मिलने लगेंगी। – रशिका सिद्दीकी, सहायक निदेशक खेल