November 22, 2024

निर्वाचन आयोग : हकीकत जल्द स्पष्ट होगी


सुप्रीम कोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग से पूछा है कि चुनाव होने के काफी दिनों बाद बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत क्यों जारी किया जा रहा है। इस बात को समझाया जाए।
शीर्ष अदालत ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आयोग से कहा कि वह 24 मई तक अपना पक्ष रखे।
एडीआर ने अपनी याचिका में मांग की है कि आयोग को चुनाव होने के दो दिन के भीतर ही अंतिम आंकड़े जारी करने को कहा जाए।
यहीं संशय की स्थिति बनी और विपक्ष ने मतदान के आंकड़े देरी से जारी करने को चुनाव में मुद्दा बना लिया है।
दरअसल, एक चरण के अंतिम आंकड़े आने पर एक करोड़ वोट बढ़ जाने से हर कोई चौंका है, और आम मतदाता के गले निर्वाचन आयोग की यह दलील नहीं उतर रही है कि मतदान का प्रतिशत बढ़ जाना सामान्य बात है।
निर्वाचन आयोग मतदान के अंतिम आंकड़े जारी कर रहा है, तो मतदान 5-6 प्रतिशत बढ़ा हुआ आ रहा है। एडीआर की याचिका पर राजनीतिक माइलेज लेने की गरज से विपक्ष इस कृत्य को भाजपा के लिए मददगार करार देने में जुट गया है।
हालांकि इससे पहले वह ईवीएम के मुद्दे को लेकर भी खासा मुखर हुआ था और ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए शीर्ष अदालत जा पहुंचा था।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में स्पष्ट फैसला देते हुए विपक्ष के इस उपक्रम पर रोक लगा दी तो ईवीएम की विश्वसनीयता पर संदेह करके निर्वाचन आयोग और सत्ता पक्ष को घेरना विपक्ष के लिए मुमकिन नहीं रह गया है।
ले-दे के मतदान प्रतिशत के आंकड़े देरी से जारी करने का मुद्दा विपक्ष के सामने बच रहा जिसे वह भुनाने में जुट गया है। हालांकि वह अभी तक प्रभावी तरीके से मतदान प्रतिशत के आंकड़े में विलंब का मुद्दा नहीं उठा पाया है। फिर भी उसकी कोशिश जारी है कि कुछ सरकारी एजेंसियों की तरह संवैधानिक संस्थाओं और निर्वाचन आयोग की स्वायत्तता पर

सवाल उठाते हुए उन्हें सरकार का मददगार बताए।
मतदाता को चुनाव में लेवल प्लेइंग फील्ड न होने का यकीन दिला कर उसकी हमदर्दी हासिल करे। यदि सफल रहता है तो उसे अपने पक्ष में ज्यादा मतदान करा ले जाने की संभावना दिखलाई पड़ रही है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एडीआर की याचिका पर जो व्यवस्था दी है, उससे लगता है कि मतदान प्रतिशत के आंकड़ों में देरी की हकीकत जल्द स्पष्ट होगी।