November 22, 2024

भारत में बेरोजगारी का आलम: आईआईटी सीट हासिल करने के बावजूद बकरियां चराने को मजबूर लडक़ी


हैदराबाद । जेईई की परीक्षा में राष्ट्रीय रैंक और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) पटना में सीट हासिल करने वाली तेलंगाना की एक आदिवासी लडक़ी परिवार के पास पैसे नहीं होने के कारण बीटेक में एडमिशन लेने की बजाय बकरियां चरा रही थी। अब मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी उसकी मदद के लिए आगे आए हैं।
राजन्ना सिरसिला जिले की मधुलता ने इस साल जेईई में अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में 824वीं रैंक हासिल की थी और आईआईटी पटना में उसे सीट भी मिल गई थी। हालांकि, गरीबी के कारण परिवार फीस और अन्य खर्चों के लिए ढाई लाख रुपये की व्यवस्था नहीं कर सका, जिससे वह इंजीनियरिंग फिजिक्स में बी.टेक में दाखिला नहीं ले सकी। खेतिहर मजदूर की बेटी मधुलता पिछले महीने अपने एडमिशन के लिए केवल 17,500 रुपये का भुगतान ही कर पाई थी। गरीब परिवार के पास ट्यूशन फीस और अन्य खर्चों के लिए 2.51 लाख रुपये का इंतजाम करने का कोई साधन नहीं था।
पिता के बीमार होने के कारण उसे परिवार का भरण-पोषण करने के लिए अपने गांव में बकरियां चराने के लिए मजबूर होना पड़ा। जिस ट्राइबल वेलफेयर जूनियर कॉलेज से उसने 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की थी, वहां के शिक्षकों ने अधिकारियों से लडक़ी की मदद करने की अपील की थी, क्योंकि उसे 27 जुलाई तक फीस का भुगतान करना था। राज्य सरकार ने आदिवासी लडक़ी की परिस्थितियों को देखते हुए उसकी शिक्षा जारी रखने में मदद के लिए वित्तीय सहायता के आदेश दिए। मुख्यमंत्री रेड्डी ने आर्थिक कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद प्रतिष्ठित संस्थान में सीट हासिल करने के लिए मधुलता को बधाई दी। उन्होंने बुधवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि आदिवासी कल्याण विभाग ने उसकी शिक्षा जारी रखने के लिए आवश्यक राशि जारी कर दी है।
मुख्यमंत्री ने कामना की कि वह अपनी शिक्षा में आगे बढ़ती रहे और तेलंगाना का नाम रौशन करे। आदिवासी कल्याण आयुक्त द्वारा जारी आदेश के अनुसार, छात्रा ने 2,51,831 रुपये की वित्तीय सहायता मांगी। राज्य सरकार ने एक लाख रुपये की ट्यूशन फीस माफ कर दी और शैक्षणिक शुल्क, छात्रावास शुल्क, जिमखाना, परिवहन, मेस शुल्क, लैपटॉप और अन्य शुल्कों के लिए 1,51,831 रुपये जारी किए।