December 13, 2024

चुनाव प्रक्रिया पर गहराया संदेह


चुनाव प्रक्रिया पर गहराया संदेह अभी देश के सामने एक बड़ा मुद्दा है। इस पर जन जागृति लाने की आवश्यकता है। मगर आशंका यह है कि जन आंदोलन चलाने का जताया जा रहा सारा इरादा महज रस्म-अदायगी तक सीमित ना रह जाए!
महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने चुनावी धांधली के मुद्दे अभियान शुरू कर दिया है। अघाड़ी के नेताओं ने चुनावी स्वच्छता के लिए मुहिम चला रहे और अनशन पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता बाबा आढ़व से मुलाकात कर इस सवाल पर खुद के गंभीर होने का संदेश दिया।
एमवीए ने ईवीएम में हेरफर एवं अन्य मसलों को लेकर विरोध प्रदर्शन, हस्ताक्षर अभियान एवं अन्य तरीकों से आंदोलन चलाने का इरादा जताया है। वैसे संकेत है कि एमवीए का ध्यान मुख्य रूप से ईवीएम में हेरफेर की शिकायत पर केंद्रित है।
वह इसी पहलू को हाल के विधानसभा चुनाव में अपनी हार का कारण मानता है। जबकि एमवीए में शामिल कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति ने पिछले हफ्ते चुनावी मुकाबले की परिस्थितियो को असमान बना दिए जाने से संबंधित व्यापक समस्या पर जोर दिया।
कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर इसको लेकर जन आंदोलन छेडऩे की घोषणा की। बेशक चुनाव प्रक्रिया को लेकर गहराया संदेह इस समय देश के सामने एक बड़ा मुद्दा है।
इस पर जन जागृति लाने की आवश्यकता है। मगर इसके लिए जिस परिश्रम, निरंतरता और आम जन के बीच जाकर संवाद की जरूरत है, उसकी इच्छाशक्ति एमवीए, विशेष रूप से कांग्रेस में है, इसको लेकर संशय की गुंजाइशें बनी हुई हैं।

आशंका है कि कहीं ये सारा इरादा विरोध जताने की रस्म-अदायगी तक सीमित ना रह जाए! वैसे एमवीए में शामिल दलों को चाहिए कि वे इस सवाल को अपनी राजनीतिक शैली की कमियों को ढकने की ढाल ना बनाएं।
हकीकत यह है कि जनता से जुड़ाव और जन-मानस को आकर्षित करने के लिए जैसी राजनीतिक कटिबद्धता आवश्यक है, अभिजन वर्ग से आए इन दलों के ज्यादातर सर्वोच्च नेताओं में उसका पर्याप्त अभाव है।
वे नीतिगत रूप से बिना किसी विशिष्ट पहचान और जन कल्याण का विश्वसनीय कार्यक्रम पेश किए राजनीति करने में यकीन करते दिखते हैं। इसमें भी वे सिर्फ चुनावों के वक्त सक्रिय होते हैं।
जबकि उनका मुकाबला जिस भाजपा-आरएसएस इकॉसिस्टम से है, वह दिन-रात चुनावी समीकरण साधने में जुटा रहता है। आश्यकता इस चुनौती के लिए तैयार होने की है। यह सबक भी समान रूप से जरूरी है।