भारत माता की आराधना से जाग्रत होगी राष्ट्रीय एकता की शक्तिः डॉ. प्रणव पण्ड्या
हरिद्वार, ( आखरीआंख ) भारत माता को परम वैभव के शिखर तक पहुंचाने के लिए उनकी आराधना हेतु समन्वयवादी अन्तर्राष्ट्रीय संत स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि महाराज की प्रेरणा से उन्हीं के पावन सानिध्य में सप्तऋषि मैदान पर भव्य कलश यात्रा के साथ श्री भारत माता आराधना महायज्ञ प्रारम्भ हुआ। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज ने विशिष्ट अतिथियों, आध्यात्मिक विभूतियों की गरिमामयी उपस्थिति में राष्ट्रीय ध्वज फहराकर श्री भारत माता आराधना महायज्ञ का शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि भारत माता की आराधना से ही राष्ट्रीय एकता की शक्ति जाग्रत होगी। भारत का शौर्य और पराक्रम पूरा विश्व देख रहा है। जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज ने कहा कि श्री भारत माता आराधना महायज्ञ समसामयिक तथा बहुत ही उपयुक्त समय में हो रहा है। इस समय राष्ट्र को एकजुट रखने के लिए, अपनी सेनाओं को उत्साहित करने के लिए तथा अपनी सेना की रक्षा के लिए भारत माता से प्रार्थना करना इस यज्ञ के माध्यम से होगा। उन्हांने कहा कि भारत ने जो व्यूहरचना की है और अपने दुश्मन पर घर में घुसकर जो हमला किया है उससे भारत इजराइल के बाद दूसरी महाशक्ति बनकर उभरा है।
भारत माता मंदिर के संस्थापक स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि महाराज ने कहा कि भारत माता सबकी माता है जो अन्नपूर्णा के रूप में हमारी भूख मिटाती है। हमें प्रल्लवित व पोषित करती है। इस कारण हमें सबसे पहले भारत माता की ही आराधना करनी चाहिए। हिन्दूओं के सारे तीर्थ भारत भूमि पर ही स्थित है। श्री भारत माता आराधना महायज्ञ मेरा संकल्प था जिसे परिपूर्ण करने में जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज एवं मेरे समस्त शिष्यों का पुरूषार्थ परिलक्षित हो रहा है। सप्तऋषि मैदान में आयोजित 501 कुण्डीय श्री भारत माता आराधना महायज्ञ डॉ.ओमप्रकाश भट्ट के आचार्यत्व में प्रारम्भ हुआ। अरण्य मंथन के द्वारा अग्नि प्रज्ज्वलित की गयी। प्रथम आहूति डॉ. प्रणव पण्ड्या, स्वामी अवधेशानन्द गिरि, स्वामी गोविंद गिरि, श्रीमहंत ललिता गिरि, स्वामी देवमित्रानन्द, स्वामी मनीषा नन्दा, स्वामी ब्रह्ममित्रानन्द,स्वामी अखिलेश्वरानन्द, आई.डी. शर्मा शास्त्री, बंसीलाल राठी, अशोक गुलाटी, सुरेश केडिया, भूपेन्द्र कौशिक, शरद पुरोहित, आचार्य कृष्णकान्त चतुर्वेदी, अभिजीत चतुर्वेदी, रश्मिता चतुर्वेदी सहित विशिष्ट अतिथियों ने प्रदान की।