पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण पंवाली कांठा, जहां पैदा होता है सफेद ब्रह्मकमल
( अर्जुन राणा )
पंवाली कांठा हिमाच्छादित पहाडि़यों के मध्य मखमली बुग्यागी में करीब 4 किमी फैला स्लोप रोमांच कर देने वाला है। प्रमुख खतलिंग ग्लेशियर भी इसके समीप स्थित है। ट्रेकरों के लिए तो यह स्थान आज भी पहली पंसद बना हुआ है। यदि इसको विकसित किया जाता है तो शीत क्रीड़ा के क्षेत्र में यह नया आयाम स्थापित कर सकता है। टिहरी जनपद में यूं तो पर्यटक स्थलों का खजाना है, लेकिन कुछ पर्यटक स्थल ऐसे हैं जहां पर विंटर गेम व पर्वतारोहण की अपार संभावनाएं मौजूद हैं।
टिहरी जनपद के भिलंगना प्रखंड में पड़ने वाला पंवाली कांठा भी ऐसा ही पर्यटक स्थल है। इसकी आसपास की पहाडि़यां अधिकांश समय बर्फ से ढकी रहती है। कई लोग तो इसे दयारा से भी बेहतर स्थल मानते हैं। इस क्षेत्र में साहसिक खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने व पर्यटन के रूप में इसे विकसित करने को लेकर स्थानीय खेल प्रेमियों को दल हर साल यहां की यात्रा पर निकलता है। यही नहीं बाहर से बर्षभर कई ट्रेकर व जवान यहां पहुंचकर साहसिक क्षेत्र में अपने करतब दिखाते हैं। इस स्थल तक पहुंचते के लिए जिला मुख्यालय से करीब सौ किमी की दूरी तय कर घुत्तू पहुंचना पड़ता है। घुत्तू तक बस सेवा के बाद करीब 15 किमी की पैदल दूरी तय कर यहां तक पहुंचा जा सकता है। यदि इस क्षेत्र को खेल के रूप में विकसित किया जाता है, तो यह विंटर गेम के रूप में नया आयाम स्थापित कर सकता है। पंवाली कांठा शीत क्रीड़ा के रूप में ही नहीं पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसके आस-पास के क्षेत्र में पत्थरों की सिला पर सफेद रंग का ब्रह््म कमल भी पैदा होता।