November 22, 2024

रुद्रपुर में खुलेगी कुमांऊ की पहली डीएनए जांच प्रयोगशाला

रूद्रपुर,  ( आखरीआंख ) कुमाऊं परिक्षेत्र में होने वाली आपराधिक वारदातों की विवेचना में डीएनए जांच की जरूरत पड़ने पर पुलिस प्रशासन को अब लंबे समय तक देहरादून फोरेंसिक लैब पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। शासन जल्द ही रुद्रपुर स्थित फोरेंसिक लैब में डीएनए प्रयोगशाला संचालित करने की तैयारी में है। इसके लिए गृह मंत्रालय ने लैब निदेशक डॉ. दयाल शरण को पत्र भेजकर वैज्ञानिकों और उपकरणों की डिमांड मांगी हैं।
आपराधिक वारदातों में वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने के लिए वर्ष 2017 में रुद्रपुर किच्छा रोड पर विधि विज्ञान प्रयोगशाला (फोरेंसिक लैब) का शुभारंभ किया गया था। लैब शुरू होने के बाद निदेशक विधि विज्ञान प्रयोगशाला डॉ. दयाल शरण के निर्देशन में यहां पर आपराधिक मामलों में नारकोटिक्स और विसरा जांच के साथ ही रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए पकड़े जाने वाले (ट्रैप केसों) का भी परीक्षण किया जाता है लेकिन डीएनए परीक्षण के लिए उक्त लैब में पूरे कुमाऊं परिक्षेत्र से हर माह आने वाले करीब 10 सैंपलों को देहरादून स्थित लैब में भेजना पड़ता है। अब गृह मंत्रालय उत्तराखंड समेत 13 राज्यों में साइबर फोरेंसिक लैब के साथ डीएनए लैब संचालित करने की तैयारी में है। उत्तराखंड में फिलहाल देहरादून में साइबर फोरेंसिक लैब के साथ ही डीएनए लैब भी है, जबकि कुमाऊं एकमात्र फोरेंसिक लैब रुद्रपुर में सिर्फ साइबर फोरेंसिक लैब ही है। डीएनए लैब के लिए रुद्रपुर प्रयोगशाला में भवन बना हुआ है लेकिन उपकरणों और वैज्ञानिकों का अभाव है। इसके लिए अब गृह मंत्रालय भारत सरकार ने लैब निदेशक डॉ. दयाल शरण को पत्र भेजकर लैब के लिए वैज्ञानिकों और उपकरणों की डिमांड मांगी है।
कुमाऊं परिक्षेत्र में एकमात्र फोरेंसिक लैब होने से कुमाऊं भर से पॉलीग्राफ टेस्ट के मामले भी रुद्रपुर लैब में पहुंचते हैं लेकिन लैब में विशेषज्ञों के उपलब्ध नहीं होने से सीबीआई सीएफएसएल दिल्ली की टीम को बुलाना पड़ता है। बीते तीन माह में दो बार टीम को लैब में बुलाया गया, जिसने अब तक 20 से अधिक पॉलीग्राफ टेस्ट किए हैं। डॉ. दयाल ने बताया कि पॉलीग्राफ सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भी मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा गया है। देश के अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और उत्तराखंड में साइबर फोरेंसिक लैबोरेट्री है लेकिन रुद्रपुर लैब में साइबर एक्सपर्ट नहीं होने से साइबर संबंधी अपराधों की विवेचना में वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने के लिए मदद नहीं मिल पाती है। साइबर फॉरेंसिक लैब के लिए साइबर एक्सपर्ट उपलब्ध कराने का प्रस्ताव भी डा. दयाल शरण द्वारा शासन को भेजा जा रहा है।

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