November 22, 2024

मुंबई भारत का सबसे महंगा शहर

( आखरीआंख )
मुंबई शहर विदेशियों के रहने के लिहाज से भारत में सबसे महंगा है। दिल्ली इस मामले में दूसरे तो चेन्नै और बेंगलुरु तीसरे-चौथे नंबर पर आते हैं। यह रैंकिंग ग्लोबल कंसल्टिंग लीडर मर्सर के एक हालिया सर्वे से मिली है। नजर को भारत से ऊपर ले जाकर पूरी दुनिया के शहरों का जायजा लें तो बाहर से आकर रह रहे लोगों के आम रहन-सहन के खर्चे के लिहाज से पहले नंबर पर हांगकांग, दूसरे पर टोक्यो, तीसरे पर सिंगापुर और चौथे पर सियोल दिखता है।
दिलचस्प बात यह कि ये सारे शहर एशियाई हैं। मुंबई और दिल्ली इस सूची में क्रमश: 67वें और 118वें स्थान पर हैं। यह सर्वे यूं तो बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा कर्मचारियों और विशेषज्ञों पर आने वाले खर्च को ध्यान में रखकर करवाया जाता है, पर इससे दुनिया में विभिन्न शहरों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझने में भी मदद मिलती है। अर्थव्यवस्था के ग्लोबल दौर में जैसे-जैसे कारोबार देश की सीमाओं से ऊपर उठता गया वैसे-वैसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कर्मचारियों को एक देश से दूसरे देश भेजने का चलन भी तेज होता गया।
अभी यादातर कंपनियों में ऐसे कर्मचारी अछी-खासी संया में होते हैं जिन्हें विदेशों में रहकर कंपनी के प्रॉजेक्ट संचालित करने होते हैं। इसके अलावा उन्हें अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और पेशेवरों की अंशकालिक सेवाएं भी लेनी होती हैं। इतने बड़े पैमाने के मैन-मैनेजमेंट के लिए इस बात की सटीक समझ होना जरूरी है कि किस शहर में किस स्तर के रहन-सहन पर कितना खर्चा आएगा।
मर्सर सर्वे इस जरूरत को ध्यान में रखते हुए करवाया जाता है। जाहिर है, इससे दुनिया भर के शहरों के बारे में यादा गहरे नतीजे नहीं निकाले जा सकते, लेकिन उनके बारे में एक तुलनात्मक राय जरूर बनाई जा सकती है। जैसे, मुंबई को ही लें तो पिछले साल यह दुनिया का 55वां सबसे महंगा शहर था, जबकि इस बार इस सूची में इसका मुकाम 67वां है। बाहर खाने से लेकर बिजली, पानी तक का खर्च पिछले साल के मुकाबले इस साल यहां घटा है, लेकिन लैट और मकानों का किराया नीचे आने का नाम नहीं ले रहा।
शहर की जो बनावट है उसमें टाउन एरिया के फैलाव की कोई गुंजाइश नहीं है, जबकि विदेश से आकर मुंबई में रह रहा कोई व्यक्ति उस तरह दूर-दराज के इलाकों से काम पर नहीं आ सकता, जिसका आम मुंबईकर आदी हो चला है। इस वजह से निकट भविष्य में हम यहां कॉस्ट ऑफ लिविंग यादा नीचे आने की उमीद नहीं कर सकते। फिर भी हमारे शहर अगर दुनिया की डिमांड में हैं और महंगा होने के बावजूद बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रिय ठिकाना बने हुए हैं तो इसके पीछे इनकी अन्य विशेषताएं हैं। जरूरी है कि हम अपने शहरों की उन विशेषताओं पर ध्यान दें और उन्हें बनाए रखते हुए न सिर्फ विदेशियों बल्कि अपने लोगों के लिए भी उन्हें अधिक आरामदेह बनाने की कोशिश करें।
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