बागेश्वर से छड़ी यात्रा हरिद्वार को रवाना
बागेश्वर। पंच दशनाम जूना अखाड़ा से हरिद्वार के लिए छड़ी यात्रा रवाना हुई। इससे पहले जूना अखाड़ा में सरयू तट पर छड़ी पूजन का कार्यक्रम संपन्न कराया गया। इस बार 40 साल बाद छड़ी पूजा का आयोजन हो सका है। पूजा में भारत के तमाम अखाड़ों से आए संतों ने भागीदारी की। उन्होंने छड़ी यात्रा को भविष्य में भी पुन: संचालन करने का संकल्प लिया। अंतरराष्ट्रीय महामंत्री महंत हरी गिरी महाराज के संरक्षण और महंत प्रेम गिरी महाराज के नेतृत्व में यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि छड़ी यात्रा का वृतांत 1100 साल पुराना है, लेकिन कुछ कारणों से यहां 40 साल से छड़ी यात्रा बंद थी। जिसे फिर से शुरू किया जा रहा है। संतों ने सुबह प्रात:काल में छड़ी की पूजा अर्चना की। उन्होंने बताया कि छड़ी में सभी देवी देवताओं का वास माना गया है। जिसमें सूर्य नारायण भी विद्यमान हैं और सभी प्रकार की वनस्पति और इंद्र का रथ भी। देवताओं का गुप्त चित्र भी है तरे 33 करोड़ देवी-देवता भी छड़ी में विद्यमान हैं। सप्त ऋषि, ग्रहों का भी छड़ी में आह्वान किया जाता है। यह छड़ी एक देवता से दूसरे दवेता से मिलाना है। तीर्थ, प्राचीन मंदिरों का संगम कराती है और हवन यज्ञ भी किया जाता है। इस मौके पर जूना अखड़ा के महंत पुष्कर राज गिरी, भगवान प्रयागराज, शिवदत्त गिरी मंत्री जूना अखड़ा जागेश्वर, महंत महेशुपरी, अतिष्ठता जूना अखड़ा कुमाऊं मंडल,महंत शंकर गिरी महाराज, पूर्व सभापति महंत उमा शंकर राष्ट्रीय सचिव महंत महेशपुरी, गोविंद भंडारी, बागनाथ मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष नंदन रावल, रणजीत सिंह बोरा, पूर्व ब्लाक प्रमुख इंद्र सिंह परिहार, नरेंद्र खेतवाल, दिलीप खेतवाल, बालादत्त तिवारी, बची गिरी गोस्वामी, रमेश लाल साह, गिरीश जोशी, भगवती धपोला, पंडित हेम जोशी, कुंदन परिहार, नगर पालिकाध्यक्ष सुरेश खेतवाल दीपक खेतवाल, प्रेम सिंह हरडिय़ा, सुरेश खेतवाल, दयाल कांडपाल, गौरव दास आदि मौजूद रहे।
चार धामों समेत कई तीर्थों की होगी यात्रा- बागेश्वर। छड़ी यात्रा बागेश्वर से हरिद्वार पहुंचेगी। जहां जूना अखाड़े की कुल देवी माया देवी के मंदिर से चार धाम व राय के अन्य तीर्थ स्थलों के लिए यात्री रवाना होंगे। भ्रमण के बाद जूना अखाड़ा बागेश्वर में विशाल संत समागम के साथ यात्रा का समापन होगा। यात्रा के दौरान निरंतर प्रवचन व भंडारों का आयोजन भी किया जाएगा। जिसमें आम जन से लेकर सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक संगठनों के लोग प्रतिभाग कर सकेंगे।