September 20, 2024

वनों के संवर्धन हेतु एफआरआई में संगोष्ठी

देहरादून, ( आखरीआंख समाचार ) वन अनुसंधान संस्थान के वन संवर्धन एवं प्रबन्धन प्रभाग द्वारा ‘‘वन संवर्धनद पुनर्विचार के लिए मुद्दे और चुनौतियाॅ’’ पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजित किया गया। उक्त सेमिनार मुख्यतः देश के वन संवर्धन और प्रबंधन की वर्तमान चुनौतियों पर केंद्रित था। सेमिनार के प्रारम्भ में डाॅ0 दिनेश कुमार, वैज्ञानिक-जी, वन संवर्धन एवं प्रबन्धन प्रभाग ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और संगोष्ठी के बारे में जानकारी दी। प्रमुख, वन संवर्धन एवं प्रबन्धन प्रभाग श्रीमती आरती चैधरी ने प्रभाग की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने वन संवर्धन के क्षेत्र में पिछली उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, जैसे कि विभिन्न वानिकी प्रजातियों, वॉल्यूम टेबल, वनाग्नी, वनों के पुनरुत्थान आदि के विकास और नर्सरी तकनीकों के विकास इत्यादि। डॉ0 सविता, निदेशक, एफआरआई ने प्रतिभागियों को संबोधित किया और जलवायु परिवर्तन के कारण वनों के संरक्षण में आने वाली समस्याओं तथा चुनौतियांे पर बल दिया तथा उन्होंने विश्व के अन्य देशो की तुलना में भारत में वन क्षेत्रों की कम उत्पादकता और प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से वनों पर अधिकांश लोगों की निर्भरता पर प्रकाश डाला। एस0डी0 शर्मा, उप महानिदेशक (रिसर्च), आईसीएफआरई ने वन प्रबंधन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डालते हुये लकड़ी के निर्यात और आयात की स्थिति, वनों मंे आ रही गिरावट, वनों की उत्पादकता में कमी, वनों में लगने वाली आग से संबंधित समस्याएं, वन नीतियां और अधिनियम, जनजातीय लोगों और मानव-पशु संघर्षों जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला।
सेमिनार में पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड वन विभागों के राष्ट्रीय प्रतिभागियों, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, रुड़की, विमको, सेंचुरी पल्प एंड पेपर लिमिटेड, लालकुआ, बागान ग्राम उद्योग समिति देहरादून के प्रतिनिधि को मौजूदा चुनौतियों और मुद्दों पर चर्चा के लिए संगोष्ठी में आमंत्रित किया गया था। इसके अलावा एफआरआई के प्रभागों के सभी प्रमुख, वरिष्ठ वैज्ञानिक और अधिकारियों ने भी सेमिनार में प्रतिभाग किया। सेमिनार में चर्चा के मुद्दों में पौधों की फेनोलाइजी पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव और पुनर्वितरण सिल्विकल्चर गतिविधियों, पानी के लिए वनों का प्रबंधन, जैव विविधता संरक्षण, वन प्रबंधन में लोगों की भागीदारी, वन क्षेत्रांे अथवा उनके आप-पास बसे लोगों के लिए आजीविका मुद्दे, भूजल स्तर बढाने के लिए जल संचयन, दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों (पेड़ और झाड़ियों) के लिए पौधशाला और वृक्षारोपण तकनीक जो समुदाय के लिए उपयोगी हैं और विभागों, कृषि-वानिकी अनुसंधान, वन संवर्धन अनुसंधान में नए दृष्टिकोण और लकड़ी आधारित उद्योगो को कच्चे माल की मांग और आपूर्ति की स्थिति आदि प्रमुखतः से रहे। सेमिनार समापन पर में डॉ मनीषा थापलियाल, वैज्ञानिक-एफ, वन संवर्धन एवं प्रबन्ध प्रभाग ने सबके प्रति आभार प्रकट किया।