December 22, 2024

आज प्रदर्शन करेंगे बैंककर्मी, 15 व 16 मार्च को होगी हड़ताल, काले कपड़े पहनकर निकलेगा जुलूस

 

देहरादून। सरकारी बैंकों के निजीकरण को लेकर यूनाइटेड फेडरेशन आफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू ) के आह्वान पर उत्तराखंड में भी बैंक कर्मी आंदोलन को तैयार हैं। बैंक कर्मियों की 15 व 16 मार्च को हड़ताल है। इससे पहले 12 मार्च की शाम देहरादून में पौन घंटे प्रदर्शन किया जाएगा। सरकारी बैंकों के निजीकरण को लेकर यूनाइटेड फेडरेशन आफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू ) के आह्वान पर उत्तराखंड में भी बैंक कर्मी आंदोलन को तैयार हैं। बैंक कर्मियों की 15 व 16 मार्च को हड़ताल है। इससे पहले 12 मार्च की शाम देहरादून में पौन घंटे प्रदर्शन किया जाएगा। यूएफबीयू के उत्तराखंड संयोजक समदर्शी बड़थ्वाल ने बताया कि सरकार की ओर से बैंकों के निजीकरण करने संबंधी फैसले का यूएफबीयू समूचे देश में विरोध कर रही है। इसके तहत देहरादून में 12 मार्च की शाम 5.15 बजे से 6.00 बजे तक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, एस्लेहाल, राजपुर रोड देहरादून के प्रांगण में प्रदर्शन का आयोजन किया गया है। इसी क्रम में दिनांक 15 मार्च व 16 मार्च को यूएफबीयू से जुड़े सभी बैंककर्मी हड़ताल पर रहेंगे। दोनों ही दिन प्रात: 10.00 बजे से परेड ग्राउंड देहरादून से जुलूस निकाला जाएगा। ये जुलूस परेड मैदान से प्रारभ होकर एस्ले हाल, गांधी पार्क, कुमार स्वीट शॉप से होते हुए घंटाघर से वापिस होकर इसी मार्ग से पुन: परेड ग्राउंड पर पहुंचकर समाप्त होगा। उन्होंने कहा कि हड़ताल वाले दोनों दिन के लिए सभी यूएफबीयू से जुड़े सदस्यों से कहा गया है कि विरोध के प्रतीक वाले रंग के कपड़े प्रदर्शन के लिए पहन कर आएं। यानी कपड़ों में काला रंग जरूर हो। जैसे काली कमीज, हल्की काले रंग की स्वेटर, टी-शर्ट, जैकेट, कार्डिगन, कोट, कुर्ता अथवा वासकट आदि हो। काले रंग की पहन कर आने की कोशिश करें। विरोध के रूप में काले रंग की टोपी की व्यवस्था भी यूएफबीयू से जुड़ी बैंक यूनियनें अपने-अपने स्तर से कर सकती हैं। आंदोलन को चलाने के लिए बैंक कर्मियों को भी फिलहाल खर्च के लाले पड़े हुए हैं। इसीलिए यूनियन संयोजक ने सभी घटक संघों से मदद की अपील भी की। कहा कि घटक संघों की यूनियनें यूएफबीयू की आन्दोलनात्मक कार्यवाही के प्रथम चरण में खर्चों की पूर्ति के लिए 5-5 हज़ार रूपए 12 तारीख को जमा करवा दें। इस पैसे के खर्च होने के बाद अलग कलेक्शन किया जाएगा। हमारा अनुमान है कि आन्दोलन लबा चलने पर काफी यादा खर्चे की आवश्यकता पड़ेगी। इस वक्त भी खर्च कलेक्शन से अधिक हो चुका है।