होलिका दहन आज, जाने शुभ मुहूर्त
देहरादून। होलिका दहन के लिए उत्तराखंड पूरी तरह तैयार है। रविवार सुबह से विधि विधान पूजा बाद शाम छह बजकर 36 मिनट से रात आठ बजकर 56 मिनट तक शुभ मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन किया जाएगा। इसके बाद सोमवार को हर्षोल्लास के साथ रंगों का पर्व होली मनाया जाएगा। इसके लिए दून के बाजारों में भी होली की रौनक खूब दिख रही है। पर्व के लिए खरीदारी को बड़ी संया में लोग बाजारों में उमड़ रहे हैं। चौक चौराहों पर होलिका दहन की तैयारी पूरी: होलिका दहन के लिए दून के अधिकांश चौराहों और मैदानों में तैयारियां पूरी हो गई हैं। सामाजिक संगठनों के साथ ही लोग घरों से लकड़ी लेकर वहां एकत्र कर रहे हैं। इसके अलावा होलिका के लिए बनी लकडिय़ों का ढेर के चारों और रंगोली बनाकर सजाने का कार्य किया गया। विशेष पूजन के साथ रविवार शाम को मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन होगा। आचार्य डा. सुशांत राज के मुताबिक इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त दो घंटे 19 मिनट का है, जो शाम छह बजकर 36 मिनट से शुरू होगा। इस बार भद्रा की छाया नहीं रहेगा। उन्होंने बताया कि होलिका दहन शरद ऋतु की समाप्ति व वंसत के आगमन पर किया जाता है। इसके अलावा मान्यता है कि हिरण्यकशिपु ने अपने बेटे प्रह्लाद को मारने के लिए बहन होलिका को आदेश दिया था वह प्रह़्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई, लेकिन ईश्वर की भक्ति में लीन प्रह्लाद बच गए। ईश्वर भक्त प्रह़्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।
होली पूजन विधि : होलिका दहन से पहले होली का पूजन किया जाता है। पूजन सामग्री में एक लोटा गंगाजल यदि उपलब्ध न हो तो ताजा जल भी लिया जा सकता है। रोली, माला, रंगीन अक्षत, धूप या अगरबत्ती, पुष्प, गुड़, कचे सूत का धागा, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, नारियल एवं नई फसल के अनाज गेंहू की बालियां, पके चने आदि शामिल करें। पूजा सामग्री के साथ होलिका के पास गोबर से बनी ढाल भी रखी जाती है। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त पर जो मौली, फूल, गुलाल, ढाल और खिलौनों से बनी चार मालाएं अलग से रख लें। इसमें एक माला पितरों के नाम की, दूसरी हनुमान जी के लिए, तीसरी शीतला माता और चौथी परिवार के नाम की रखी जाती है। पूरी श्रद्धा से होली के चारों और परिक्रमा करते हुए कचे सूत के धागे को लपेटा जाता है। तीन से सात बार होलिका की परिक्रमा करें। शुद्ध जल सहित अन्य पूजा सामग्रियों को एक-एक कर होलिका को अर्पित करें। होली का पूजन कर जल से अर्घ्य दें और होलिका दहन के बाद होलिका में कचे आम, नारियल, सतनाज, चीनी के खिलौने, नई फसल इत्यादि की आहुति दें। सतनाज में गेहूं, उड़द, मूंग, चना, चावल जौ और मसूर मिश्रित करके इसकी आहुति दी जाती है।