देश मे सेहत-सुरक्षा व अर्थव्यवस्था संरक्षण की चुनौती
निस्संदेह कोविड के कारण देश के सामने फिर से स्वास्थ्य, रोजगार और आर्थिक चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। देश में कोविड-19 संक्रमण का आंकड़ा प्रतिदिन दो लाख को पार कर गया है। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या के लिहाज से ब्राजील को पीछे छोड़कर भारत विश्व में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच गया है।
हाल ही में 12 अप्रैल को बार्कलेज द्वारा भारत में कोरोना संक्रमण से बढ़ रही आर्थिक चुनौतियों के मद्देनजर प्रकाशित की गई ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पिछले कुछ दिनों के दौरान महाराष्ट्र और दिल्ली समेत कुछ अन्य प्रमुख आर्थिक केंद्रों में लगाए गए लॉकडाउन जैसे प्रतिबंधों से देश को हर सप्ताह 1.25 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ रहा है। अगर मौजूदा प्रतिबंध मई, 2021 के आखिर तक बने रहे तो आर्थिक गतिविधियों का नुकसान करीब 10.5 अरब डॉलर या सालाना नॉमिनल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 0.34 फीसदी रहेगा।
स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि देश की विनिर्माण गतिविधियों में वृद्धि की रफ्तार फिर सुस्त पड़ गई है और पिछले माह मार्च, 2021 में यह सात माह के निचले स्तर पर आ गई है। 5 अप्रैल को जारी मासिक सर्वे के मुताबिक आईएचएस मार्किट इंडिया का विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) मार्च में घटकर सात माह के निचले स्तर 55.4 पर आ गया। फरवरी में यह सूचकांक 57.5 पर था। इसी तरह सर्विस सेक्टर का सूचकांक मार्च में 54.6 रहा, जो कि फरवरी में 55.3 रहा था। इससे रोजगार की नई चिंताएं खड़ी हो गई हैं।
हाल ही में उद्योग चैंबर सीआईआई ने कोरोना की दूसरी घातक लहर के मद्देनजर देश के 710 सीईओ के बीच एक सर्वेक्षण किया है। इस सर्वेक्षण में 70 फीसद सीईओ ने कहा कि लॉकडाउन श्रमिकों की आवाजाही, वस्तुओं की आपूर्ति, उत्पादन को प्रभावित करते हुए रोजगार और अर्थव्यवस्था पर अत्यधिक प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। सर्वे में 57 फीसद सीईओ ने कहा कि उनके पास किसी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए कच्चा माल है। 31 फीसद ने कहा कि उन्होंने नाइट कर्फ्यू की स्थिति को देखते हुए अपनी फैक्टरी में ही कामगारों के ठहरने का इंतजाम किया हुआ है। सर्वे में यह भी कहा गया है कि इस समय बेहद सख्त स्वास्थ्य एवं सुरक्षा मानक लॉकडाउन से बेहतर विकल्प हैं।
नि:संदेह तेजी से बढ़ती हुई कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए त्वरित और निर्णायक रणनीति की जरूरत इसलिए है, क्योंकि इसका संबंध लोगों के जीवन के साथ-साथ लोगों की आजीविका और प्रवासी मजदूरों के पलायन की मुश्किलों से है। साथ ही देश की विकास दर से भी है। 14 अप्रैल को गोल्डमैन सैश ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2021 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 10.5 फीसदी पर पहुंच सकती है। कोरोना की दूसरी लहर इस लक्ष्य के सामने असाधारण चुनौती बनकर खड़ी हो गई है।
ऐसे में देशभर में कोरोना की दूसरी घातक लहर से लॉकडाउन के कारण उद्योग-कारोबार की बढ़ती चिंताओं को रोकने, प्रवासी मजदूरों के पलायन की मुश्किलों को रोकने और देश की विकास दर बढऩे के वैश्विक अनुमानों को साकार करने के मद्देनजर एक बार फिर कोरोना से दूसरे महायुद्ध की नई रणनीति जरूरी है। इस रणनीति में जान बचाने के साथ-साथ आजीविका भी बचाने की प्राथमिकता के साथ इन पांच बातों पर ध्यान देना होगा। एक, भारत में कोरोना वैक्सीन के अधिकतम निर्माण और वितरण की रणनीति कारगर रूप से क्रियान्वित हो। दो, अधिक से अधिक लोगों का वैक्सीकरण किया जाए। तीन, लॉकडाउन से बाजार में ब्रेक डाउन के बढ़ते हुए खतरे और दुष्परिणाम को रोकने की रणनीति तुरंत तैयार हो। चार, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) के लिए नई राहत शीघ्र घोषित की जाए और पांच, पलायन कर रहे मजदूरों को रोकने और उनकी सुविधा के लिए कारगर रणनीति घोषित की जाए।
गौरतलब है कि देश में 14 अप्रैल तक कोरोना टीके की 11 करोड़ 43 लाख से अधिक खुराक दी जा चुकी है। सरकार के द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने रूस में तैयार टीका स्पूतनिक-वी के इस्तेमाल के साथ-साथ विदेशी टीकों का देश में मंजूरी देने की प्रक्रिया में तेजी लाने का रास्ता साफ कर दिया है। सरकार ने 14 अप्रैल को इंजेक्शन रेमडेसिविर का उत्पादन करीब दोगुना यानी 78 लाख वायल (शीशी) प्रति माह करने की मंजूरी दी है। अब भारत में कोरोना टीकाकरण अभियान की रफ्तार बढ़ाने के साथ जिस तरह करीब 6.5 प्रतिशत खुराक की बर्बादी हो रही है, उस अपव्यय को रोका जाना जरूरी है। साथ ही देश में जहां अधिकतम टीकाकरण लाभप्रद होगा, वहीं टीकों के अधिकतम उत्पादन के साथ टीका निर्माण करने वाली कंपनियों को खुले बाजार में टीका मुहैया कराने का अवसर भी शीघ्रतापूर्वक दिया जाना लाभप्रद होगा।
चूंकि विगत 12 मार्च को क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग (क्वाड) ग्रुप के चार देशों—भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के द्वारा वर्ष 2022 के अंत तक एशियाई देशों को दिए जाने वाले कोरोना वैक्सीन के 100 करोड़ डोज का निर्माण भारत में किया जाना सुनिश्चित किया गया है, अतएव भारत द्वारा कोरोना वैक्सीन के संसाधन जुटाने के लिए क्वाड देशों से शीघ्र वित्तीय और आधारभूत सहयोग लेकर व्यापक टीका निर्माण कार्य आगे बढ़ाना होगा। निश्चित रूप से भारत कोरोना वैक्सीन निर्माण की महाशक्ति बनने की डगर पर आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे सकेगा। इससे देश में कोरोना टीकाकरण को सशक्त बनाए जाने के साथ-साथ देश के आर्थिक विकास को नई गति मिलेगी।
नि:संदेह इस समय कोरोना के दूसरे साये में सरकार को पहले जैसे सख्त लॉकडाउन लगाने से बचना होगा, अन्यथा विकास दर में भारी गिरावट के साथ-साथ करीब 12 करोड़ से अधिक असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के रोजगार और गरीबी की चुनौती भयावह हो जाएगी। अभी भी गांवों में लौटते प्रवासी कामगारों के रोजगार के लिए मनरेगा को प्रभावी बनाया जाना होगा। चालू वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में मनरेगा के मद पर रखे गए 73,000 करोड़ रुपए के आवंटन को बढ़ाया जाना होगा। कोरोना से प्रभावित हो रहे उद्योग-कारोबार को राहत देने के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की पेचीदगियां भी कम की जानी होगी। एमएसएमई को संभालने के लिए एक बार फिर से सरकार द्वारा सब्सिडी और ब्याज राहत की डगर को आगे बढऩा होगा। एक बार फिर से रिजर्व बैंक द्वारा छोटे कर्जधारकों के लिए मोरेटोरियम योजना पर तुरंत विचार करना होगा। लॉकडाउन से बाजार में ब्रेकडाउन के कारण निर्मित हो रहे दुष्परिणामों को तुरंत रोके जाने की रणनीति पर आगे बढऩा होगा। नि:संदेह कोरोना के खिलाफ देश में शुरू हुए दूसरे महायुद्ध में लॉकडाउन की जगह स्वास्थ्य तथा सुरक्षा मानकों को और कड़ा किए जाने की रणनीति से जीवन, रोजगार और अर्थव्यवस्था तीनों को अधिक कारगर तरीके से बचाया जा सकेगा।