November 22, 2024

डीपी यादव ने नहीं की थी भाटी की हत्‍या, हाई कोर्ट ने किया रिहा

नैनीताल । नैनीताल हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता पूर्व सांसद डीपी यादव को रिहा करने के आदेश पारित किए हैं। साथ ही सीबीआई अदालत का आदेश निरस्त कर दिया है। पूर्व सांसद समेत तीन अन्य को गाजियाबाद के विधायक महेंद्र भाटी की हत्या मामले में देहरादून की सीबीआई कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। वहीं हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद महेंद्र भाटी के भतीजे संजय भाटी ने प्रतिक्र‍िया देते हुए कहा है कि इस आदेश के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में पूर्व सांसद डीपी यादव की अपील फैसला सुनाया। कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को निरस्त करते हुए उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहींं पाते हुए उन्हें रिहा कर दिया है। डीपी यादव अभी अतंरिम जमानत पर भी हैं। कोर्ट ने इस हत्याकांड के अन्य आरोपियों की अपीलों में निर्णय सुरक्षित रखा है।
दरअसल 13 सितम्बर 1992 को गाजियाबाद के विधायक रहे महेंद्र भाटी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में डीपी यादव, परनीत भाटी, करन यादव व पाल सिंह उर्फ लक्कड़ पाला पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। 15 फरवरी 2015 को देहरादून की सीबीआई कोर्ट ने चारों हत्यारों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस आदेश के खिलाफ चारों अभियुक्तों द्वारा विशेष अपील के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी गयी है।

ये है पूरे हत्‍याकाण्‍ड की कहानी
उत्‍तराखंड हाईकोर्ट कोर्ट ने गाजियाबाद के विधायक रहे महेंद्र भाटी हत्याकांड मामले में पूर्व सांसद धर्मपाल यादव (डीपी यादव) को रिहा करने का फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने देहरादून की सीबीआई कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं पाते हुए उन्हें बाइज्जत रिहा कर दिया है। कोर्ट ने इस हत्याकांड के अन्य आरोपितों की अपीलों में निर्णय सुरक्षित रखा है। बता दें कि डीपी यादव वर्तमान अतंरिम जमानत पर हैं। मामले में करन यादव भी पत्‍नी के स्वास्‍थ्‍य कारणों का हवाला देते हुए पैरोल पर हैं। जबकि अन्‍य दो आरोपित परनीत भाटी व पाल सिंह उर्फ लक्कड़पाला जेल में सजा काट रहे हैं।
13 सितंबर 1992 को की गई थी हत्‍या
13 सितंबर 1992 की शाम गाजियाबाद जिले की दादरी रेलवे क्रासिंग पर विधायक महेंद्र सिंह भाटी की ताबड़तोड़ फायरिंग कर हत्या कर दी गई थी। हमले में भाटी के साथ कार में सवार उनके साथी उदय प्रकाश आर्य की भी मौत हो गई थी। वारदात के दिन भंगेल रोड पर रेलवे फाटक बंद होने के कारण भाटी व उनके साथी ट्रेन गुजरने का इंतजार कर रहे थे। इसी दौरान हथियारबंद हमलावरों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सौंपी थी जांच
भाटी हत्याकांड की जांच पहले स्थानीय पुलिस कर रही थी, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद वर्ष 1993 में इसकी विवेचना सीबीआई को सौंपी गई। डीपी यादव के प्रभाव को देखते और पीड़ित पक्ष द्वारा उत्तर प्रदेश में निष्पक्ष जांच प्रभावित करने के अंदेशे के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2000 में मामले की जांच सीबीआई देहरादून को सौंप दी।
सीबीआई ने आठ लोगों को बनाया था आरोपित
सीबीआई की ओर से दाखिल चार्जशीट में पूर्व सांसद डीपी यादव, कुख्यात बदमाश लक्कड़पाला समेत आठ लोगों को आरोपित बनाया गया था। जिनमें चार की मौत हो चुकी है। सीबीआई की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर अदालत ने डीपी यादव, प्रनीत भाटी, करन यादव व पाल सिंह उर्फ लक्कड़पाला को 28 फरवरी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। लक्कड़पाला को आर्म्स एक्ट के तहत भी दंडित किया गया है। गौरतलब है कि डीपी यादव का बेटा विकास यादव वर्ष 2002 में हुए नीतिश कटारा हत्याकांड में दिल्ली एक जेल में 25 साल की कैद काट रहा है।
चार आरोपितों की हो चुकी है मौत
भाटी हत्याकांड में सीबीआई की ओर से आठ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। सालों तक चले मामले के विचारण के दौरान तेजपाल भाटी, जयपाल सिंह गुज्जर की मौत हो जाने से उनके खिलाफ कार्रवाई वर्ष 2006 में अबेट कर दी गई। तीसरे आरोपित महाराज सिंह की वर्ष 2005 और चौथे आरोपित औलाद अली की वर्ष 2013 में मौत हो गई।