उच्च हिमालय क्षेत्र में आजीविका का अच्छा साधन बन सकता है अमेश
दशोली ब्लाक में वैज्ञानिकों ने क्षेत्रवासियों को दी अमेश की जानकारी
चमोली । उच्च हिमालयी क्षेत्रों में उगने वाला जंगली फल अमेश अपने आप में कई विटामिन और खनिज तत्वों से भरपूर एक औषधीय गुण वाला फल है। इसका उपयोग होम्योपैथिक दवाइयां और सौदर्य प्रसाधनों में भी किया जाता है।
जनपद चमोली के उच्च हिमालय क्षेत्र नीती माणा घाटी के निवासियों को अमेश की औषधीय गुणों की जानकारी देने के लिए शुक्रवार को दशोली विकासखंड सभागार में एनआरएलएम के अंतर्गत कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें अमेश (सीबकथोर्न) की विस्तृत जानकारी दी गई।
हर्बल रिसर्च डिपार्टमेंट (एचआरडी) के वैज्ञानिक वीपी भट्ट ने ग्रामीणों को बताया कि अमेश (सीबकथोर्न) एक ऐसी बहुउपयोगी पौधा है, जिसका फल, पत्ती और फल के बाहर का छिलका सभी औषधि के रूप मे उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि चीन जैसे देश में इस बहुउपयोगी पौधे के लगभग पांच सौ प्रकार के उत्पाद तैयार कर मार्केट में बेचा जाता है। अमेश/सीबकथोर्न से जो जूस निकाला जाता है, उसका उपयोग कैंसर, बीपी, शुगर, बालो के झड़ने को रोकना व शरीर में खून को पतला करने, पशुओं और मनुष्य के जहर खाने से इसको पिलाने से शरीर में जहर को खत्म करने जैसे महत्वपूर्ण बीमारियों को ठीक करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा घरेलू चटनी, जूस व हर्बल टी में भी इसको उपयोग किया जा सकता है उन्होंने बताया कि अमेश/सीबकथोर्न में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। एक शोध के अनुसार विटामिन-सी सबसे ज्यादा नींबू और आंवला में मिलता है, परंतु अमेश (सीबकथोर्न) में नींबू व आंवला से बीस गुना ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है।
जिला सहायक परियोजना अधिकारी केके पंत ने कहा कि अमेश (सीबकथोर्न) का ग्रामीणों द्वारा जब जूस और पत्ता
निकाला जाएगा, तो इसका दोहन भी होगा। जिसको रोकने के लिए जिला स्तर से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सेंटर नर्सरी भी तैयार की जाएगी। उन्होंने बताया कि जिले स्तर से इसके लिए बजट की व्यवस्था कर इसका पौधा रोपण किया जाएगा।
बैठक में दशोली विकास खंड के खंड विकास अधिकारी डीएस राणा, जोशीमठ ब्लॉक के राष्ट्रीय ग्रामीण अजीविका मिशन के ब्रांच मैनेजर काला, अतिथि के रूप में ग्राम प्रधान कागा गरपक पुष्कर सिंह राणा और नीती घाटी क्लस्टर के अध्यक्ष पार्वती देवी, ग्राम पंचायत जेलम, कैलाशपुर, कागा गरपक, द्रोणागिरी की महिला समूह की महिलाएं और ओथ हनुमान चट्टी के प्रधान मौजूद थे।