May 17, 2024

67 साल बाद समाल्टा मंदिर में विराजमान हुए चालदा महाराज

विकासनगर। छत्रधारी चालदा महाराज 67 साल बाद मंगलवार को देर रात समाल्टा मंदिर में विराजमान हुए। देवता के मंदिर प्रांगण में पहुंचते ही आसपास का पूरा क्षेत्र चालदा महराज के जयकारे से गूंज उठा। लोगों में देव दर्शनों के लिए होड़ मची रही। इससे पहले दोपहर डेढ़ बजे देवता ने ठाणा से समाल्टा के लिए प्रस्थान किया। इस दौरान जगह-जगह ग्रामीणों ने देव डोली पर पुष्प वर्षा कर खुशहाली की मन्नतें मांगी। समाल्टा मंदिर में देव दर्शन के लिए सुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया था। समाल्टा खत के साथ ही उपलगांव खत और पूरे जौनसार बावर समेत उत्तरकाशी, हिमाचल प्रदेश से भी लोग देव दर्शनों के लिए पहुंचे। ठाणा से प्रस्थान के दौरान देव डोली के साथ हजारों श्रद्धालु चल रहे थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देव पुराने पारंपरिक मार्ग से यात्रा करते हैं। यात्रा मार्ग के बीच पड़ने वाले गांवों में हजारों की संख्या में लोग देव दर्शनों के लिए खड़े रहे। खत शैली के ग्रामीणों की ओर से रामताल गार्डन में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें देव डोली के साथ चल रहे लोगों को दोपहर का भोजन कराया गया। इसके बाद देवता ने समाल्टा के लिए प्रस्थान किया। समाल्टा मंदिर में प्रवेश से पूर्व विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। जिसके बाद लोगों ने देवता से खुशहाली की मन्नतें मांगी। लोगों ने रात्रि जागरण कर जागड़ा मनाया। इस दौरान चालदा महाराज के वजीर दीवान सिंह, अर्जुन सिंह तोमर, कलम सिंह चौहान, रणवीर सिंह चौहान, सूरत सिंह, गोपाल तोमर, सरदार सिंह, भगत सिंह, शूरवीर तोमर, माया सिंह आदि मौजूद रहे।
रामताल गार्डन में देवता के इंतजार में हजारों श्रद्धालु सुबह से ही पहुंच गए थे। खत शैली के ग्रामीणों ने वहां श्रद्धालुओं के लिए भोजन और प्रसाद बनाया। देवता के पहुंचने तक श्रद्धालुओं देव जागर गाने के साथ ही लोकगीत और लोक नृत्यों की छटा बिखेरी। छत्रधारी चालदा महाराज के पुरोड़ी से गुजरते वक्त यहां सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गईं। देवता के साथ चल रहे हजारों श्रद्धालुओं के कारण वाहनों को सड़क से गुजरने के लिए जगह ही नहीं मिली। हालांकि यात्री जाम से परेशान होने के बजाय वाहनों से उतर कर देव दर्शनों के लिए उत्सुक दिखे। सभी लोगों ने देवता से सुख समृद्धि की मन्नतें मांगी।