September 8, 2024

मिसरी को मिली बड़ी जिम्मेदारी


जिस शख्स ने देश के तीन प्रधानमंत्रियों के निजी सचिव के रूप में यूरोप, अफ्रीका व उत्तरी अमेरिका में भारतीय मिशनों में तथा चीन के साथ सबसे मुश्किल समय में चुनौतिपूर्ण भूमिका निभाई हो, उस व्यक्ति को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देना निस्संदेह तार्किक ही है। हाल में चीन में राजदूत के दायित्वों से मुक्त होने के बाद विक्रम मिसरी को उपराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी डिप्टी एनएसए बनाया जाना उनकी क्षमता व अनुभव का बेहतर उपयोग ही कहा जायेगा। खासकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की टीम को ऐसे वक्त में मदद मिलेगी, जब चीन से भारत के रिश्ते इतिहास के सबसे जटिल दौर में पहुंच चुके हैं। बेहद टकराव भरे समय में चीन में राजदूत के रूप में उनके तीन साल के कार्यकाल का अनुभव भविष्य की कूटनीतिक रणनीति बनाने में निस्संदेह सहायक ही होगा। दरअसल, मिसरी वर्तमान डिप्टी एनएसए पंकज सरन का स्थान लेंगे, जो आज अपने पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। पंकज सरन इससे पहले रूस व बांग्लादेश में भारतीय मिशन की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। चीन में राजदूत के रूप में मिसरी की पारी कितनी महत्वपूर्ण रही है, यह इस बात से पता चलता है कि उनके विदाई कार्यक्रम में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भाग लिया और उनके कार्यकाल के दौरान भूमिका को सराहा।
सात नवंबर, 1964 को कश्मीर स्थित श्रीनगर में जन्मे विक्रम मिसरी वर्ष 1989 बैच के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी हैं। प्रारंभिक शिक्षा सिंधिया स्कूल से करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कालेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। कालांतर उन्होंने एमबीए की डिग्री भी हासिल की। इसके बाद तीन साल तक विज्ञापन व विज्ञापन फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कार्य भी किया। वे केंद्र सरकार में विदेश मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी से लेकर निदेशक तक का दायित्व संभाल चुके हैं। उन्होंने देश के तीन प्रधानमंत्रियों का विश्वास हासिल किया। उन्होंने वर्ष 1997 से मार्च, 1998 तक प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के, अक्तूबर, 2012 से मई, 2014 तक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा वर्ष 2014 में मई से जुलाई तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी सचिव के रूप में काम किया।
मिसरी को वर्ष 2018 में चीन का राजदूत बनाया गया। इसके बाद का समय दोनों देशों के बीच बेहद टकरावभरा रहा है। जिसका चरम लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष के रूप में सामने आया। जिसमें दोनों तरफ के सैनिकों की क्षति हुई। जिसके चलते कूटनीतिक संबंध बेहद खराब दौर में पहुंच गये। ऐसे मुश्किल वक्त में दोनों देशों के बीच हुई बातचीत में मिसरी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। वे लगातार चीनी पक्ष को स्मरण कराते रहे हैं कि दोनों देशों के बीच मौजूदा दौर चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन ये संबंध बेहद संभावना भरे भी हैं। साथ ही राजनीतिक, कूटनीतिक व सैन्य वार्ताओं को रास्ता निकालने में सहायक बताया।
भारत में नवंबर, 2019 में जब महाबलीपुरम में भारत व चीन के शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भाग लिया तो उस महत्वपूर्ण दौर में मिसरी ने चीन में राजदूत के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इन कूटनीतिक चुनौतियों के अलावा वर्ष 2019 की समाप्ति पर जब कोरोना महामारी ने चीन से निकलकर पूरी दुनिया में कोहराम मचाया तो भारतीय राजदूत के रूप में उन्होंने बेहद चुनौतीपूर्ण समय का मुकाबला किया। एक ओर जहां व्यापारिक रिश्ते बाधित हुए और दवाओं से जुड़ी कच्ची सामग्री समेत आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में बाधा आई तो मिसरी की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई। इसके अलावा भारतीय नागरिकों के आवागमन के अलावा चीन में पढऩे वाले करीब ढाई हजार छात्रों के भारत में फंसने का संकट भी सामने था। इस समस्याओं के निदान में उन्होंने रचनात्मक भूमिका निभाई।
निस्संदेह, भारत-चीन के रिश्ते सामान्य करने में उनका पिछला अनुभव काम आयेगा। हालांकि, अनुभवी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की टीम में दो अन्य उपराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राजेंद्र खन्ना और दत्ता पंडसालगिकर पहले ही काम कर रहे हैं। निस्संदेह, ऐसे में प्रधानमंत्री कार्यालय में काम करने का उनका अनुभव काम आयेगा। निस्संदेह, एक अनुभवी राजनयिक विक्रम मिसरी की नयी पारी का लाभ देश को मिलेगा।
बदले हुए भू-सामरिक परिदृश्य में भारत व चीन के बीच संबंध सामान्य करना भारत की प्राथमिकता है। हालांकि, रूस से करीब होते रिश्ते देश का संबल बढ़ाने वाले हैं, लेकिन भौगोलिक रूप से चीन हमारा पड़ोसी है, हमारे व्यापारिक हित आपस में जुड़े हैं। ऐसे में जून, 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी की घटना व सीमा पर बना तनाव कम करने में मिसरी की भूमिका का लाभ भविष्य की रणनीति को तैयार में मददगार होगा क्योंकि मिसरी इन वार्ताओं का हिस्सा रहे हैं। ऐसे में चीनी मामलों की विशेषज्ञ की देश को जरूरत भी थी, क्योंकि इस मुश्किल वक्त में मिसरी लगातार चीनी विदेश मंत्रालय के संपर्क में रहे थे। जिसके बाद सैन्य व कूटनीतिक वार्ताओं के बाद कुछ इलाकों से चीनी सेना की वापसी हुई। इसके अलावा विक्रम मिसरी को हिंद प्रशांत क्षेत्र के मामलों में एक कुशल रणनीतिकार माना जाता है। मिसरी इससे पहले म्यांमार और स्पेन में भारतीय राजदूत के तौर पर भी अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दे चुके हैं।