पैंगोंग झील पर चीन तेजी से कर रहा पुल का निर्माण, सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ खुलासा
लद्दाख ,। चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। ड्रैगन की हरकतों की वजह से एक बार फिर पूर्वी लद्दाख सीमा पर तनाव बढऩे लगा है। दरअसल, चीन पैंगोंग त्सो झील के किनारे पर एक पुल का बना रहा है, जिसकी लंबाई 400 मीटर से अधिक है और ब्रिज की चौड़ाई आठ मीटर है। इसकी सैटेलाइट तस्वीरें 16 जनवरी को आई हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि चीन इस पुल का निर्माण कार्य पूरा कर लेता तो उसे पैंगोंग त्सो क्षेत्र में अहम सैन्य बढ़त मिल सकती है। बता दें कि इससे पहले लद्दाख मुद्दे को लेकर भारत और चीन के बीच 14 दौर की वार्ता हो चुकी है।
सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि चीन झील के किनारे एक पुल बना रहा है, तस्वीरों से मालूम पड़ता है कि चीनी मजदूर ब्रिज के खंभों को एक भारी क्रेन की सहायता से कंक्रीट स्लैब से जोडऩे का काम रहे हैं, जिस पर डामर बिछाया जाएगा। चीन ब्रिज बनाने का निर्माण कार्य तेजी से कर रहा, जिससे लग रहा है कि ब्रिज कुछ महीनों में बन कर तैयार हो जाएगा। हालांकि, इस क्षेत्र में चीन के मुख्य सैन्य हब रुतोग तक सडक़ से पहुंच सुनिश्चित करने में अभी लंबा समय लगेगा।
यह पुल पैंगोंग के उत्तरी तट पर एक चीनी सेना के मैदान के ठीक साउथ में स्थित है। जहां 2020 में लद्दाख गतिरोध के दौरान चीनी सेना के अस्पताल और सैनिकों की रहने की व्यवस्था की गई। झील के उत्तरी किनारे के चीनी सैनिकों को अब रुतोग में अपने बेस तक पहुंचने के लिए पैंगोंग झील के आसपास लगभग 200 किलोमीटर ड्राइव करने की जरूरत नहीं होगी। उनकी यात्रा अब लगभग 150 किमी तक कम हो जाएगी।
फोर्स एनालिसिस के चीफ मिलेट्री एनालिस्ट सिम टैक का कहना है कि नए ब्रिज का निर्माण उस क्षेत्र में किया गया है, जो 1958 से चीन के कब्जे में है, इससे यह साफ है कि भारत इस ब्रिज के निर्माण को पूरी तरह से अवैध मानता है। यह पुल व्यावहारिक तौर पर उस जगह स्थित है, जहां भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा होने का दावा करता है।
00