प्रियंका ने बताया अपना पंजाबी कनेक्शन: कैसे सियालकोट से मुरादाबाद पहुंचा उनका परिवार, बंटवारे में सबकुछ छोड़ना पड़ा
पठानकोट (पंजाब) । कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने पठानकोट पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और केजरीवाल पंजाबियत को नहीं समझते। प्रधानमंत्री और केजरीवाल जब पंजाबियत की बात की तो मुझे हंसी आती है। प्रिंयका गांधी गुरुवार को पठानकोट के तीनों विधानसभा हलकों पठानकोट, सुजानपुर और भोआ के उम्मीदवारों के पक्ष में की गई जनसभा को संबोधित किया।प्रिंयका गांधी ने कहा कि पंजाबियत को समझने के लिए उसे जीना पड़ता है, पंजाबियत एक जज्बा है, मेरी शादी एक पंजाबी परिवार में हुई। मेरी बड़ी सासू मां (दादी सास) मेरे ससुर को छह साल की उम्र में अपने कंधे पर चुनरी से बांधकर घरों की छतों से कूदकर सियालकोट से बचाकर लाई थीं। बंटवारे के समय मेरे ससुर ने वहां अपना सब कुछ छोड़ा और यूपी के मुरादाबाद में छोटा सा बिजनेस कर अपने परिवार की परवरिश की। इसे पंजाबियत कहते हैं।
पंजाबियत की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले बड़े नेता (प्रधानमंत्री) बड़े-बड़े उद्योगपतियों के सामने झुके हैं और दूसरे केजरीवाल सत्ता और सियासत के लिए किसी के समक्ष भी झुक जाएंगे। इस दौरान प्रियंका गांधी के साथ रवनीत बिट्टू, पठानकोट विधायक अमित विज, भोआ विधायक जोगिंदर पाल और सुजानपुर से उम्मीदवार नरेश पुरी भी मौजूद रहे।
पूरी दुनिया घूमी लेकिन किसानों से मिलने छह किमी दूर नहीं पहुंचे
प्रियंका गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अमेरिका, कनाडा समेत पूरी दुनिया का भ्रमण कर लिया लेकिन, अपने घर से छह किमी दूर सड़कों पर बैठे किसानों तक नहीं पहुंच सके। अपने लिए 16 हजार करोड़ के 2 हवाई जहाज खरीद लिए। पूरे देश के गन्ना किसानों का बकाया 14 हजार करोड़ है वो नहीं चुकाया। एक बार भी किसानों का हाल नहीं जाना।
उल्टे उनके मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचल दिया। हमने हाल जानना चाहा तो हजारों पुलिस वाले हमें रोकने आ गए लेकिन, मंत्री के बेटे को किसी ने नहीं रोका। अब उसकी जमानत हो गई और मोदी उसके पिता के साथ स्टेज पर खड़े होते हैं। भाजपा की नीयत खोटी है। कोई धर्म, कोई जात तो कोई आस्था का इस्तेमाल कर वोट मांगता है। विकास के मुद्दे पर बात नहीं की जा रही।
जीएसटी और नोटबंदी से व्यापारी हुए थे परेशान
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि शहरों के छोटे-बड़े सभी व्यापारी परेशान हैं। उन पर नोटबंदी और जीएसटी थोपा गया। कोरोना लॉकडाउन में व्यापारियों ने बड़ा संघर्ष किया लेकिन केंद्र में बैठी भाजपा सरकार से कोई राहत नहीं मिली। रोजगार के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। युवाओं को रोजगार देने वाले रेलवे, बीएचईएल को बेच डाला।