December 23, 2024

पहाड़ों में बेरोजगार युवक लोन के लिए खा रहे हैं धक्के


 देहरादून।  उत्तराखंड के अधिकांश जिले पर्यटन को लेकर दुनिया भर में जाने जाते हैं। ग्रामीण इलाके भी पर्यटन के लिए उचित हैं, मगर सुविधाओं के अभाव में गांव के गांव खाली हो गए हैं। हालांकि कोरोना काल में लोग बेरोजगार होकर फिर से घरों को लौटे। वीरान पड़े गांवों में फिर से रौनक लौटी। बेरोजगारी के चलते युवा और प्रवासी मजदूर स्वरोजगार करना चाहते थे, मगर राज्य के पहाड़ी जिलों में बैंक कर्ज देने में आनाकानी कर रहे हैं।
जबकि मैदानों में लोगों को आसानी से कर्ज मिल रहा है। इससे पहाड़ का युवा दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की विशेष बैठक जनवरी 2022 को हुई। इसमें अप्रैल 2021 से दिसंबर 31 तक बैंकों के विभिन्न खुलासे किए गए।  वहीं कर्ज के मामले में भी बैठक में खुलासे हुए हैं। दरअसल, राज्य में विभिन्न बैंकों की कुल 2413 शाखाएं हैं।
अधिकांश बैंकों में जमा डिपॉजिट के अनुपात में ऋण जारी नहीं किए जा रहे हैं। बात अगर मैदानी जिलों की करें तो ऊधमसिंह नगर जिले की 338 बैंक शाखाओं में सबसे अधिक जमा धनराशि का 91 फीसदी कर्ज लोगों को विभिन्न कारोबार को बढ़ावा देने व रोजगार करने के लिए दिया जा रहा है, जो राज्य में कर्ज देने के मामले में सबसे अव्वल नंबर पर है। इसमें हरिद्वार जिला भी पीछे नहीं है। यहां की 284 शाखाओं में जमा धनराशि का 53 फीसदी बजट लोगों को कर्ज मिल रहा है। पहाड़ी जिलों में लोगों के सपनों को बैंक कर्ज न देकर धराशायी कर रहा है। बागेश्वर, अल्मोड़ा, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, टिहरी, चमोली जिले सालभर के जमा धन का महज 30 फीसदी ही कर्ज दे रहा है। वहीं पिथौरागढ़ और चम्पावत अन्य पहाड़ी जिलों से कुछ आगे हैं। मगर यहां के बैंक भी महज 31 से 36 फीसदी तक की पूंजी ही कर्ज दे रहे हैं। राज्य के पहाड़ी जिलों की बात करें तो उत्तरकाशी की हालत सबसे अच्छी है। यहां साल भर में जमा होने वाली धनराशि का 51 फीसदी बजट लोगों को कर्ज के रूप में मिल रहा है, जिसका लोग सदुपयोग भी कर रहे हैं।
पहाड़ों में कर्ज न मिलने की ये है वजह
पहाड़ी जिलों में अधिकांश परिवार जुड़कर रहते हैं। यहां परिवार का अगर कोई सदस्य बैंक से कर्ज लेकर रोजगार करना चाहे तो उसके नाम पर कर्ज लेने के लिए जमीन होनी चाहिए। मगर ऐसा पहाड़ी जिलों में एक फीसदी भी देखने को नहीं मिलता। यही नहीं खास बात तो यह है कि पहाड़ का युवा चाहे मेहनत कितनी ही क्यों न कर ले, मगर बैंक उन पर भरोसा नहीं जता पाता है। इससे पहाड़ के लोग कर्ज लेकर रोजगार करने में सबसे पीछे हैं।
मैदानी जिलों में दून की स्थिति सबसे खराब
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून मैदानी और पहाड़ी इलाकों से घिरा है। यहां कुल 589 बैंक की शाखाएं हैं। मगर कर्ज देने के मामले में पहाड़ी जिलों से भी देहरादून काफी पिछड़ा हुआ है। यहां सालभर में जमा धन का महज 33 फीसदी ही धन लोगों को कर्ज के तौर पर मिल रहा है।  नैनीताल जिले में भी बैंकों में जमा धन का 38 फीसदी कर्ज लोगों को मिल रहा है। मगर नैनीताल की स्थिति रिजर्व बैंक के निर्देशों के अनुसार 50 फीसदी पीछे है।