राहुल को अध्यक्ष बनाने पर अड़े नेता
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव का कार्यक्रम जारी हो गया है और इसके साथ ही तेज हो गया है राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने का अभियान। कांग्रेस के सारे नेता अलग अलग कारणों से राहुल को अध्यक्ष बनाने पर अड़े हैं। एक तरफ राहुल हैं, जिन्होंने साफ कर दिया है कि वे अध्यक्ष नहीं बनेंगे, पार्टी चाहे जिसे बनाए। दूसरी ओर कांग्रेस के नेता हैं, जो इस बात पर अड़े हैं कि चाहे कुछ हो जाए राहुल ही अध्यक्ष बनेंगे। इस प्रयास को जारी रखने के लिए कांग्रेस नेताओं को एक महीने का समय और मिल गया है। पहले 20 अगस्त से 21 सितंबर के बीच अध्यक्ष का चुनाव होना था पर अब 21 सितंबर से 17 अक्टूबर के बीच होगा। सो, कांग्रेस के नेता 24 सितंबर तक राहुल पर दबाव बनाते रहेंगे।
अध्यक्ष के चुनाव का कार्यक्रम तय करने के लिए रविवार को कार्य समिति की ऑनलाइन बैठक हुई तो उसमें लगभग सभी नेताओं ने राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की बात कही। कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ और बुजुर्ग नेताओं में से एक मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा कि राहुल गांधी अध्यक्ष बनें, पूरी पार्टी उनके पीछे खड़ी है। दूसरे वरिष्ठ और बुजुर्ग नेता अशोक गहलोत ने भी यह बात दोहराई कि राहुल अध्यक्ष बनें। तीसरे वरिष्ठ और बुजुर्ग नेता सलमान खुर्शीद ने भी कहा कि राहुल को अध्यक्ष बनना चाहिए। सोचें, एक तरफ गुलाम नबी आजाद कह रहे हैं कि राहुल के पार्टी की कमान संभालने के बाद वरिष्ठ नेताओं से सलाह-मशविरा करने का सिस्टम खत्म हो गया तो दूसरी ओर पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल के पीछे एकजुट हो रहे हैं!
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक पृथ्वीराज चव्हाण ने जरूर कहा है कि अगर राहुल अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं होते हैं तो चुनाव करा कर किसी को चुना जाए। ध्यान रहे चव्हाण जी-23 समूह के नेता हैं, जिन्होंने संगठन चुनावों को लेकर सोनिया गांधी को चि_ी लिखी थी। इस समूह के नेता एक-एक करके कांग्रेस से दूर हो रहे हैं। गुलाम नबी आजाद ने पार्टी छोड़ दी है और कपिल सिब्बल समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभा में जाने के बाद कांग्रेस से अलग ही हो गए हैं। मनीष तिवारी ने अपने को कांग्रेस में हिस्सेदार बता कर किराएदार वाली हैसियत भी गंवा दी है। इस समूह के बाकी बड़े नेताओं में भूपेंदर सिंह हुड्डा को हरियाणा की कमान मिल गई है और मुकुल वासनिक को भी राज्यसभा मिल गई है। सो, जी-23 का अब कोई खास मतलब नहीं है।
जी-23 समूह के बचे खुचे नेताओं को भी राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने में कोई आपत्ति नहीं है। यह लगभग तय है कि राहुल हां करते हैं तो उनका कोई विरोध नहीं होगा। उनके खिलाफ चुनाव लडऩा तो दूर सब उनके नाम का स्वागत करेंगे। वे पिछली बार की तरह निर्विरोध चुने जाएंगे। जयराम रमेश ने कहा है कि कोई भी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन कर सकता है। लेकिन वह तब होगा, जब परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति चुनाव लड़ेंगे। राहुल लड़ेंगे तो कोई नामांकन नहीं होगा।