November 22, 2024

पहली बार चिनूक हेलिकॉप्टर उड़ाएंगी वायुसेना की महिला पायलट
चंडीगढ़ और असम में हुई तैनाती


नईदिल्ली। अब भारतीय वायुसेना की महिला पायलट भी चिनूक हेलिकॉप्टर उड़ाएंगी। चिनूक हेलिकॉप्टर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सेना की तैनाती में अहम भूमिका निभा रहे हैं और भारी हथियारों समेत अनेक साजो-सामान की आपूर्ति कर रहे हैं। वायुसेना ने पहली बार चिनूक हेलिकॉप्टर यूनिट में दो महिला लड़ाकू पायलटों की तैनाती की है। एक महिला पायलट को चंडीगढ़ और दूसरी को असम में संचालित हो रही चिनूक यूनिट में तैनात किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, स्क्वॉड्रन लीडर पारुल भारद्वाज और स्वाति राठौड़ को अब चिनूक हेलिकॉप्टर उड़ाएंगी। उन्हें क्रमश: चंडीगढ़ स्थित फीदरवेट्स यूनिट और असम के मोहनबाड़ी स्थित माइटी टेलन्स यूनिट में भेजा गया है। ये दोनों जाबांज पहले एमआई-17वी5 हेलिकॉप्टर उड़ाती थीं। बता दें कि भारत के पास इस समय 15 चिनूक हेलिकॉप्टर हैं और इन्हें लद्दाख आदि स्थानों पर तैनात किया गया है। इन्हें 2019 में वायुसेना में शामिल किया गया था।
पारुल भारद्वाज 2019 में एमआई-17वी5 की उस उड़ान की कैप्टन थीं, जिसमें सभी महिलाएं थीं। यह पहली ऐसी उड़ान थीं, जिसे पूरी तरह महिलाओं ने ऑपरेट किया था। वहीं राठौड़ की बात करें तो वो पहली महिला हेलिकॉप्टर पायलट हैं, जिन्होंने 2021 की गणतंत्र दिवस परेड में हेलिकॉप्टर उड़ाया था। इन दोनों को यह जिम्मेदारी ऐसे समय में सौंपी गई है, जब वायुसेना समेत सेना के तीनों अंग अधिक महिलाओं के लिए अपने दरवाजें खोल रहे हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि चिनूक में उड़ान भरना एमआई-17 या किसी भी दूसरे हेलिकॉप्टर की तुलना में पूरी तरह अलग है। यह वायुसेना के पास एकमात्र टेंडम रोटर एयरक्राफ्ट है, जो कई तरह की भूमिकाएं निभाता है। इसके कंट्रोल अलग हैं और इसे उड़ाना पूरी तरह से अलग है। बता दें, इस हेलिकॉप्टर का निर्माण बोइंग ने किया है और इन्हें चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच उत्तरी और पूर्वी सेक्टर में इस्तेमाल किया जा रहा है।
चिनूक हेलिकॉप्टर लगभग 11,000 किलो वजन तक के हथियार और सैनिकों को लेकर उड़ान भर सकता है। हिमालयी क्षेत्र में ऊंचाई पर उड़ान भरने और में बहुत कारगर साबित हो सकता है। इसे छोटे हेलिपैड पर आसानी से उतारा जा सकता है। अधिकतम 315 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड वाला यह हेलिकॉप्टर खराब मौसम में भी उड़ान भर सकता है। इसका इस्तेमाल हथियारो, सैनिकों को लाने-ले जाने के अलावा आपदा राहत के काम भी किया जा सकता है।

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