एमसीडी का चुनाव देश का मिनी चुनाव है!
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा का चुनाव हो गया है और गुजरात में चुनाव हो रहा है। गुजरात चुनाव कई कारणों से बहुत अहम है। लेकिन इन दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाव से कम महत्व का चुनाव दिल्ली नगर निगम यानी एमसीडी का नहीं है। एमसीडी की ढाई सौ सीटों पर चार दिसंबर को मतदान होना है। राजधानी दिल्ली का यह चुनाव देश की राजनीति का मूड बताने वाला होता है। एमसीडी में लगातार तीन बार से भाजपा जीत रही है। दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने 2012 में एमसीडी को तीन हिस्सों में बांट दिया था ताकि कांग्रेस कुछ जगह जीत सके। लेकिन कांग्रेस तीनों निगमों में हार गई। वह चुनाव देश का मूड बताने वाला था। उसके दो साल बाद देश का चुनाव हुआ और कांग्रेस बुरी तरह से हार कर सत्ता से बाहर हो गई।
इसके बाद अगला चुनाव अप्रैल 2017 में हुआ और कांग्रेस तो हारी ही दो साल पहले ही दिल्ली में एकतरफा जीत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी भी हार गई। इससे भी देश का मूड जाहिर हुआ और 2019 में भाजपा को और बड़ी जीत मिली। अब फिर लोकसभा चुनाव से डेढ़ साल पहले एमसीडी का चुनाव हो रहा है। इसके नतीजों से देश का मूड जाहिर हो सकता है। ध्यान रहे दिल्ली में देश के हर हिस्से के लोग रहते हैं। हर प्रांत, हर जाति, हर धर्म और हर आर्थिक श्रेणी के लोग दिल्ली में रहते हैं। उनको यह भी पता है कि एमसीडी में 15 साल से भाजपा का कब्जा है और वह दिल्ली सरकार के अधीन नहीं है। यह भी ध्यान रखने की बात है कि दिल्ली में लोगों ने भाजपा को हरा कर आप की सरकार नहीं बनवाई है। अगर इस बार भाजपा को हरा कर एमसीडी में आप की सरकार बनती है तो इससे देश के मूड का भी कुछ हद तक पता चलेगा।