प्रतिभा सिंह का राजनीतिक सफर, छह महीने पहले मिली जिम्मेदारी उतरीं खरी
शिमला। छह बार मुख्यमंत्री रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह 1998 में सक्रिय राजनीति में आई थीं। पहला चुनाव मंडी संसदीय क्षेत्र से लड़ा था, जब भाजपा के महेश्वर सिंह ने उन्हें करीब सवा लाख मतों से पराजित किया था। महेश्वर सिंह उनके समधी हैं। 1998 में केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी थी। सरकार 13 माह ही चल पाई थी।
1999 में लोकसभा का दोबारा चुनाव हुआ था। प्रतिभा सिंह ने यह चुनाव नहीं लड़ा था। 2004 के आम लोकसभा चुनाव में उन्होंने दूसरी बार अपनी किस्मत आजमाई थी। समधी महेश्वर सिंह से 1998 की हार का बदला लेकर वह पहली बार लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुईं। थीं। 2009 का लोकसभा चुनाव उनके पति पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह ने लड़ा था।
2012 में प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद वीरभद्र सिंह ने लोकसभा से त्यागपत्र दे दिया था। 2013 में उपचुनाव हुआ तो प्रतिभा तीसरी बार मैदान में उतरीं। वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को करीब 1.39 लाख मतों से शिकस्त देकर दूसरी बार संसद सदस्य निर्वाचित हुई थीं। इसके साल भर बाद 2014 में लोकसभा चुनाव हुआ था। मोदी लहर में भाजपा के रामस्वरूप शर्मा ने उन्हें 39 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था। प्रदेश में उस समय कांग्रेस सरकार थी। प्रतिभा सिंह की हार से सब दंग रह गए थे। 2021 में करीब सात साल बाद प्रतिभा सिंह दोबारा चुनावी अखाड़े में उतरीं और जीत दर्ज की।
26 अप्रैल 2022 को हाईकमान ने प्रतिभा सिंह हिमाचल प्रदेश कांग्रेस का 32वां अध्यक्ष बनाया। मंडी उपचुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार को चारों खाने चित करने वाली पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह की पत्नी सांसद प्रतिभा सिंह के सहारे पार्टी हाईकमान ने सत्ता में वापसी की योजना बनाई। बीते कई विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ही चुनाव प्रचार कमेटी के अध्यक्ष रहे थे। उनके देहांत के बाद प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए उनके वैचारिक तौर पर प्रतिद्वंद्वी रहे सुखविंद्र सिंह सुक्खू को प्रचार कमेटी का अध्यक्ष बनाकर दोनों धड़ों को हाईकमान ने अधिमान दिया था। सुक्खू को स्क्रीनिंग कमेटी का सदस्य भी चुना गया था। प्रतिभा सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसका फैसला पार्टी के चुने हुए विधायक करेंगे। हाईकमान का फैसला अंतिम होगा। कौन मुख्यमंत्री पद के लिए पात्र होंगे, इसका फैसला करने का अधिकार भी सिर्फ हाईकमान को है। उन्होंने अपने इरादे जाहिर करते हुए कहा कि वीरभद्र परिवार का नेतृत्व जनता आगे भी देखना चाहती है। यह सब कुछ वीरभद्र सिंह के प्रदेश के लोगों के प्रति पूर्ण समर्पण की वजह से है।