September 21, 2024

तो क्या कभी नहीं खुलेगा रेंजर की मौत का राज?


हल्द्वानी ।   तराई केंद्रीय वन प्रभाग की भाखड़ा रेंज में तैनात रेंजर की मौत के मामले में वन विभाग ने खामोशी ओढ़ ली है। हैरानी की बात यह है कि विभाग ने घटना के एक माह से ज्यादा गुजर जाने के बावजूद विभागीय जांच करना भी उचित नहीं समझा है। जबकि मामले की गहन जांच को लेकर वन क्षेत्राधिकारी संघ, प्रदेश के डीजीपी और अपने विभाग के मुखिया को पत्र लिख चुका है। परिजनों की तहरीर नहीं मिलने से पुलिस भी मामले की जांच नहीं कर रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि रेंजर की मौत का राज अब नहीं खुल सकेगा। भाखड़ा रेंज में तैनात हरीश चंद पांडे 29 नवंबर 2023 की शाम को रेंज कार्यालय से अचानक अचानक लापता हो गए थे। करीब 15 दिन बाद 13 दिसबर को उनका शव भीमताल में ताल के किनारे मिला था। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजकर बिसरा जांच के लिए भेज दिया था। मामले में मीडिया से बात करते हुए रेंजर के पुत्र ने विभागीय अधिकारियों को घटना के लिए जिम्मेदार बताया था। हैरानी की बात यह है कि इतनी बड़ी घटना पर वन महकमा चुप्पी साध गया है। मामले में न तो कोई जांच हुई ना ही कोई कार्रवाई की और ना ही किसी तरह का खुलासा हुआ है। इससे वन विभाग की पूरी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा होने लगा है।
लापता होने पर ये उठ रहे थे सवाल:  रेंजर पांडे 29 नवंबर को लापता हुए थे। तब यह बात कही जा रही थी कि उनकी रेंज में तस्करों द्वारा कई पेड़ों के काटे जाने के चलते उन पर अधिकारियों का दबाव था। एक अन्य जांच के मामले में भी उन पर दबाव बनाए जाने की बात कही जा रही थी। जिसे वन अधिकारियों ने नकार दिया था।
वन क्षेत्राधिकारी की मौत की जांच होनी ही चाहिए, ताकि उनके परिवार को न्याय मिले। जांच इसलिए भी जरूरी है कि भविष्य में इस तरह की घटना को होने से रोका जा सके। डीजीपी व वन विभाग के मुखिया को पत्र लिखकर जांच की मांग की गई है।     –  डॉ. विनोद चौहान, अध्यक्ष, वन क्षेत्राधिकारी संघ उत्तराखंड

रेंजर की मौत के मामले में विभाग की तरफ से कोई जांच नहीं हो रही है। इस मामले में जो भी जांच होगी वह पुलिस के स्तर से ही होगी। -हिमांशु बागड़ी, डीएफओ तराई केंद्रीय वन प्रभाग

मामले में डूबकर मरने की पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुई थी। गुमशुदगी की जांच खत्म हो चुकी है। परिवार वालों की ओर से कोई शिकायत नहीं की गई और न ही शासन से जांच के कोई निर्देश मिले थे।    –  प्रमोद पाठक, एसओ मुखानी