September 21, 2024

गरुड़ में बेनतीजा रही किसानों व वन विभाग की वार्ता, 10 फरवरी को जुलूस का ऐलान


बागेश्वर गरुड़ । पहाड़ में बन्दरों का आतंक इस कदर बढ़ चला हैं कि अब पहाड़ के अधिकांश किसान यह निर्णय ले चुके है कि अब खेती करने के बजाय उन्हें बाजार से अपना राशन पानी व सब्जियों को खरीद कर खाना सस्ता पड़ने लगा है । धीरे 2 यह स्थिति अब पहाड़ों में एक विकराल पलायन का रूप धारण भी करने लगी हैं। जो कि सीमांत क्षेत्रों के लिए एक बुरी खबर हैं।

सरकार का 22 तक किसानों की आय दुगुनी करने का इस नारे का प्रयोग अब किसान आपस मे आज बन्दरों ने मेरी आय दोगुनी कर दी हैं कहकर मजाक उड़ाने लगे है।

आपको यहाँ यह भी बताते चले कि बन्दरों की यह समस्या न केवल खेती बाड़ी तक ही सीमित न रह कर अब उनके व उनके बच्चों तक कि जान तक साँसत में पड़ चुकी हैं।

इसी क्रम में आज गरुड़ विकास खण्ड के सभागार में बंदर भगाओ खेती बचाओ अभियान की वन विभाग बागेश्वर के साथ परस्पर संवाद कार्यक्रम किया गया ।

जन सुझावों के बीच यह बात जोरों से उठकर आई है कि बंदरों के आतंक को आपदा घोषित कर इनके नियंत्रण का जिम्मा एस डी आर एफ को दिया जाए।
बताते चलें कि गरुड़ सिविल सोसाइटी के मार्गदर्शन में कत्यूर घाटी के विभिन्न सामाजिक वर्ग और क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व समाहित कर बंदरों के आतंक से निपटने हेतु जन अभियान संचालन समिति द्वारा बीती मकर संक्रांति से खेती बचाओ बंदर भगाओ का बिगुल फूंका गया है इस बीच अभियान ने गांव गांवों में पैठ बना ली है जिसका प्रमाण आज की बैठक में प्रत्यक्ष देखने को मिला। समिति का दावा है कि यह संवाद कार्यक्रम वन विभाग के समन्वयन में सिर्फ संचालन समिति के साथ तय था परंतु बंदरों का आतंक इस कदर बढ़ा है कि बड़ी संख्या में ग्रामीण भी पहुंच गए। समिति की ओर से संरक्षक अधिवक्ता डी के जोशी, संयोजक हरीश जोशी, सलाहकार देवकी नंदन जोशी, मोहन जोशी,नंदन सिंह अलमिया,राजेंद्र प्रसाद , दीवान नेगी,कृपाल लोहनी,रवि बिष्ट, सी एस बड़सीला,प्रेम सिंह नेगी आदि ने जबकि वन विभाग की ओर से डी एफ ओ उमेश चंद्र तिवारी और रेंजर एस एस नेगी आदि ने बंदरों के आतंक से निपटने हेतु बुनियादी सुझावों और समाधानों पर गहन विमर्श किया।

सभा में प्रभागीय वनाधिकारी उमेश तिवारी ने सरकार व उनके विभाग द्वारा उक्त समस्या के संदर्भ में संचालित की जा रही अनेक योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी ।

जिला किसान संगठन के जिला सचिव अर्जुन राणा ने विभाग से अपील की कि हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड में भी बन्दरों की समस्याओं से निजात दिलाई जाए।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में सरकार की किसानों को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति की बीमा योजना हमारे पहाड़ में फिट नही बैठती हैं। क्योंकि यहाँ बन्दरों द्वारा एक ही दिन में एकड़ या हेक्टेयर में नुकसान नही किया जाता हैं। यह नुकसान प्रतिदिन थोड़ा 2 कर किया जाता हैं व यहाँ के किसानों की खेती जोत की भूमि भी शहर की अपेक्षा कम होती हैं। जिससे यहाँ के किसानों को बिल्कुल भी मुआवजा नही मिल पाता हैं। उन्होंने विभाग से प्रतिदिन हुए नुकसान का त्वरित भरपाई की मांग की हैं।

सभी ने एक स्वर में स्वीकार किया कि समय रहते नहीं जागा गया तो स्थितियां और अधिक गंभीर होने जा रही हैं। समिति के संरक्षक अधिवक्ता डी के जोशी ने इस महत्वपूर्ण नीतिगत संवाद कार्यक्रम के प्रति बागेश्वर प्रशासन द्वारा दिखाई जा रही उपेक्षा पर अफसोस और आक्रोश व्यक्त किया है। संयोजक हरीश जोशी कहते हैं कि यह अभियान पूरी तरह से पीड़ित जनता का है और समाधान सरकार को देना है। अध्यक्ष रवि बिष्ट ने ऐलान किया है कि आगामी १० फरवरी को नुमाइश मैदान बैजनाथ में अभियान का विशाल बैजनाथ चलो कार्यक्रम होगा।

कुल मिलाकर आज की यह परस्पर वार्तालाप की वार्ता आज बिना कोई नतीजे के समाप्त हो गई । जिससे किसान बहुत मायूस नजर आए।
संवाद कार्यक्रम में नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी राजेश जोशी, क्षेत्र पंचायत प्रमुख हेमा बिष्ट, ज्येष्ठ प्रमुख बहादुर कोरंगा, क्षेत्र पंचायत सदस्य भोला तिवारी, ग्राम प्रधान मंजू बोरा,इंद्र सिंह भंडारी,मंजू अलमिया,राजेंद्र खोलिया,रमेश पांडेय, गणेश दत्त भट्ट,दया पंत,बसंती ममगाई,राजेंद्र थायत,त्रिलोक बुटोला आदि ने विचार व्यक्त किए।