May 19, 2024

उत्‍तराखंड में मिजाज बदला राजनीति पर अब इंटरनेट मीडिया का मंच हावी


देहरादून ।  चुनाव लड़ने के बदलते मिजाज के बीच उत्तराखंड गठन के बाद हुए लोकसभा सामान्य निर्वाचनों को देखें तो प्रचार के तरीके काफी बदल चुके हैं। राज्य गठन के बाद 2004 में पहला लोकसभा निर्वाचन हुआ था। निर्वाचन आयोग के रिकार्ड के अनुसार इस वर्ष भाजपा कांग्रेस बीएसपी यूकेडी सपा सहित 13 राजनीतिक पार्टियों ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। सड़क से प्रारंभ होने वाली राजनीति पर अब इंटरनेट मीडिया का मंच हावी हो गया है। नवीन प्रौद्योगिकी के साथ डिजिटलीकृत कैंपेनिंग को पार्टियां प्राथमिकता दे रही हैं। लगातार हाईटेक होते चुनावी समर में प्रदेश की पांच संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ चुकीं 33 राज्य और क्षेत्रीय पार्टियां अब रण छोड़ चुकी हैं, जबकि इस समय 15 दलों में से सिर्फ पांच ही ऐसे राजनीतिक दल हैं, जो लगातार मैदान में बने रहे।
राज्य गठन के बाद 2004 में पहला लोकसभा निर्वाचन हुआ था। निर्वाचन आयोग के रिकार्ड के अनुसार, इस वर्ष भाजपा, कांग्रेस, बीएसपी, यूकेडी, सपा सहित 13 राजनीतिक पार्टियों ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। वहीं, 2019 चुनाव का रिकार्ड देखें तो प्रदेश की पांच सीटों पर भाजपा, कांग्रेस, बीएससी, यूकेडी, उपपा, सीपीएम ने अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। ऐसे में चार चुनावों में राष्ट्रीय, राज्य और छोटे-बड़े क्षेत्रीय करीब 38 दल मैदान में उतरे थे, मगर 2024 के चुनाव की बात करें तो फिर से चुनावी मैदान में तीन राष्ट्रीय और दो क्षेत्रीय पार्टियां ही नजर आ रही हैं, जबकि 10 नई पार्टियां लोकसभा के चुनावी महासमर में दिख रही हैं।
2004 में हरिद्वार में जीता सपा का उम्मीदवार
समाजवादी पार्टी इस चुनाव में आइएनडीआइए के साथ है। ऐसे में उत्तराखंड में उनका प्रत्याशी मैदान में नहीं है। वहीं 2009 और 2014 लोकसभा चुनाव में भी सपा का प्रत्याशी नहीं था, लेकिन निर्वाचन आयोग का रिकार्ड देखें तो 2004 में हरिद्वार सीट पर सपा के राजेंद्र कुमार संसद पहुंचे थे।

आधुनिकता के साथ खर्चीला हो रहा है चुनाव
आधुनिकता के इस दौर में चुनाव काफी खर्चीला हो गया है। मुख्य राजनीतिक पार्टियां संगठन और कार्यकर्ताओं की टीम के साथ योजनाबद्ध तरीके से चुनावी मैदान में उतरी हैं। वहीं, मुख्य पार्टियां हाईटेक प्रचार-प्रसार में भी सक्षम हैं, जबकि उत्तराखंड में छोटे और क्षेत्रीय दलों के लिए संसाधन जुटाना बड़ी चुनौती नजर आता है। यही बड़ी वजह है कि छोटे दल अधिक समय तक मैदान में टिक नहीं पाते हैं।
पिछले चार चुनावों में मैदान में उतरी पार्टियां :
श्रेणी – 2004 – 2009 – 2014 – 2019
राष्ट्रीय – 4 – 6 – 5 – 4
राज्य – 4 – 3 – 4 – 1
अन्य – 5 – 12 – 11 – 8