July 5, 2024

गरुड़ के बैजनाथ सरकारी अस्पताल में लुट रहे गरीब


बागेश्वर गरुड़ । मोहन सिंह मेहता सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बैजनाथ में आजकल क्षेत्र के गरीब मरीजों को कभी टेस्ट रिपोर्ट्स तो कभी दवाइयों के बहाने जमकर लूटा जा रहा हैं ।
इनके इस इंद्रजाल में लाचार व असहाय मरीज दिन प्रतिदिन अपने इलाज में पिसता ही जा रहा हैं।

कुछ लोगों को तो यहाँ तक सुना गया कि जब हमने अपने सभी टेस्ट व दवाइयां बाहर से ही करने व खरीदने हैं तो फिर इस सरकारी अस्पताल का क्या फायदा । और हमारे जनप्रतिनिधि व सरकार क्यों हमे मुफ्त इलाज की घुट्टी पिलाती रहती हैं।
ताजा मामला रिठाड़ एक मरीज का हैं। जिसे 2 दिन पूर्व रात को साँस लेने में कुछ परेशानी महसूस हुई तो उसके परिजन उसे रात करीब 9 बजे बैजनाथ के सरकारी अस्पताल ले गए ।
जहां पर उसी समय वहाँ पर ड्यूटी में तैनात प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ गुप्ता द्वारा उसकी जाँच की गई।
और रात को ही उसके कई प्रकार के टेस्ट हेतू एक बाहर के प्राइवेट लैब से आदमी बुलाकर उसके कई जांच/ टेस्ट रिपोर्ट्स को कहा गया ।
इस रिपोर्ट्स के उनके परिजनों ने उसे 900 रुपये का बिल अदा किया।
छाती में दर्द की शिकायत पर अन्य टेस्ट के साथ 2 इसे किडनी व लिवर टेस्ट भी कराए गए।
और सबसे मजेदार बात तो यह हैं कि रात 9 बजे बाहर से करवाई गई इन रिपोर्ट्स को उन्ही डॉक्टर साहब द्वारा दूसरे दिन 12 बजे देखा गया।
अब यहाँ सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता हैं कि यदि ये रिपोर्ट्स इतनी इमरजेंसी थी तो इन्हें तत्काल क्यों नही देखा गया । और यदि ये इतनी साधारण थी तो क्यों इन्हें बाहर से 900 रुपए खर्च कर रात को ही करवाया गया ।
जबकि इसी अस्पताल में ये सारी टेस्ट रिपोर्ट्स दिन के समय मुफ्त में कई जाती हैं।
रातोरात करवाई गई ऐसी रिपोर्ट्स अपने आप मे अस्पताल को एक शक के दायरे में खड़ा करती हैं। जिसमे पहला संदेह तो यह होता हैं कि क्या अस्पताल व बाहरी लैब के बीच आपस मे कोई तालमेल तो नही है। जिसका फायदा ये लोग गरीब की मजबूरी का रोज यू ही उठा रहे है।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आज दिन में क्षेत्र की एक गर्भवती महिला भी बाहर से अपने खून की जांच करवाने गई।
उक्त मरीज कमला को यह 2 रात अस्पताल में एडमिड किया गया और रात में उसके परिजनों से बाहर से तीन तीन सौ के 3 इंजेक्शन भी मंगाए गए।
यहाँ पर एक मजेदार वाकया यह हुआ कि एक इंजेक्शन तोड़ते समय नर्स की गलती से वह पूरा ही टूट गया तो उसने अंदर ही अपने ड्यूटी कक्ष से दूसरा इंजेक्शन लाकर लगा दिया। यहाँ यह सोचनीय हैं कि जो कुछ समय पूर्व अस्पताल में मौजूद नही था वह टूट जाने पर अचानक जिन्न की तरह कैसे प्रकट हो गया।
परिजनों द्वारा बताया गया कि आज तीसरे दिन अस्पताल से छुट्टी मिलने पर पुनः बाहर से करीब 900 रुपये की दवाइयां खरीदी गई। अस्पताल द्वारा बताया गया कि ये यहाँ उपलब्ध नही हैं।
यहाँ आपको यह भी बताते चले कि कुछ ही दिनों पूर्व जब दर्जा राज्यमंत्री शिब सिंह बिष्ट ने इस अस्पताल का मुआयना किया था तो तब अस्पताल द्वारा उन्हें यहाँ पर सभी दवाइयों का भरपूर स्टॉक होने की बात बताई गई थी।
क्या माननीय मंत्री जी इस प्रकरण का संज्ञान लगे कि किन लोगों की मिलीभगत से यहाँ पर गरीब मरीज रोज 3 से 5 हजार रुपये लुटाने को मजबूर हो रहे हैं।
क्या मुख्य चिकित्सा अधिकारी बागेश्वर को इस गोरखधंधे पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम उठाने की जहमत नही करनी चाहिए।
या यहाँ का गरीब मरीज यहाँ पर यू ही रामभरोसे अपना इलाज कराने को हमेशा मजबूर ही रहे और चुपचाप अपने इन हाकिमों के हुक्मों से हलकान रहे ।