July 5, 2024

नए कानूनों की नई धाराएं उलझा रहीं दिमाग


हल्द्वानी ।  एक जुलाई यानी आज से भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता लागू होने जा रही है। इसके तहत तमाम धाराओं को भी बदल दिया गया है। अब बदली हुई धाराओं में ही पुलिस थानों में मुकदमे दर्ज किए जाएंगे। साथ ही कानून में हुए नए बदलाव के तहत ही कोर्ट में केस लड़े जाएंगे। वहीं इस बदलाव का स्वागत तो सभी ने किया है, लेकिन यह बदलाव पुलिस हो या अधिवक्ता सभी के लिए एक चुनौती बन गया है। नई धाराओं और अधिनियमों में हुए बदलावों ने सभी को उलझा कर रख दिया है।  हत्या, दुष्कर्म, धोखाधड़ी, देशद्रोह, महिला संबंधी अन्य अपराध व कई तरह के गंभीर अपराधों की धाराएं बदल दी गईं हैं। अभी तक पुलिस से लेकर अधिवक्ताओं तक के जहन में पुराने कानून ने अपनी जगह बना ली थी, लेकिन अब उसे हटाकर नई चीजों को स्थापित करना और उनके आधार पर कार्रवाई व प्रक्रिया को शुरू करना व आगे बढ़ाना दिक्कतें पैदा कर सकता है। पुलिस का जिक्र इसलिए भी पहले आता है क्योंकि किसी भी अपराध के होने पर कानूनी प्रक्रिया की शुरुआत पुलिस से की जानी है। अभी तक राज्य के सभी पुलिसकर्मियों को इसकी ट्रेनिंग दी जा चुकी है और मंगलवार से अधिवक्ताओं की भी ट्रेनिंग शुरू होने जा रही है। नए कानून की जानकारी वाली किताबों ने भी हर थाने, अधिवक्ताओं के चेंबर और बार एसोसिएशन की अलमारियों में अपनी जगह बना ली है। इसके बाद भी पुलिस व अधिवक्ताओं की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं।

तीन साल पीछे हुए अधिवक्ता:   नई धाराओं के क्रियान्वन और प्रक्रिया को लेकर अधिवक्ताओं से बात की गई। हल्द्वानी कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजन सिंह मेहरा बताते हैं कि वकील अपनी प्रैक्टिस के कम से कम तीन साल पीछे चले गए हैं। अभी तक जिन धाराओं के तहत कोर्ट प्रक्रिया संचालित होती थी, उनमें बदलाव होना और वह भी बिना लंबे प्रशिक्षण के कोर्ट प्रोसीजर में दिक्कतें पैदा कर सकता है। दस्तावेज तैयार करने से लेकर कोर्ट में जिरह हो या मामला डिस्पोज कराने तक में परेशानियां सामने आएंगी। कहा कि तीन सालों का काम तीन या पांच दिन की ट्रेनिंग से नहीं हो सकता।
पुरानी और नई धाराओं के मामले एक साथ कैसे:  मामले को लेकर बतौर अधिवक्ता उच्च न्यायालय के अधिवक्ता पीयूष गर्ग से बातचीत की गई। उन्होंने कहा कि बदलाव का होना जरूरी भी है और उसका स्वागत भी करते हैं। हालांकि भारतीय साक्ष्य संहिता और नागरिक सुरक्षा संहिता में हुए बदलाव को लेकर शुरुआत में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। सबसे बड़ी उलझन तब सामने आएगी जब कोर्ट में पुरानी धाराओं के तहत प्रचलित मामलों के साथ नई धाराओं के मामले भी चलाए जाएंगे।
अधिवक्ताओं का होगा प्रशिक्षण:  हल्द्वानी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष किशोर पंत बताते हैं कि नए कानून और उनकी धाराएं भले ही दिक्कतें बनकर सामने आएं। हम उनके लिए तैयार हैं। अधिवक्ताओं की समस्याओं को समझते हुए दो जुलाई से पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम हल्द्वानी जजी कोर्ट में शुरू कराया जा रहा है। यह प्रशिक्षण विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से कराया जाएगा। इसमें न्यायाधीश और प्रशिक्षण ले चुके वरिष्ठ अधिवक्ता मौजूद रहेंगे।
दूर की जानी चाहिए खामियां:  हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डीसीएस रावत ने कहा कि अभी तक हमारी न्याय संहिता पुरानी हो चुकी थी। कई धाराएं निष्प्रयोजय व निष्प्रभावी हो चुकी थीं। इनका वर्तमान स्थितियों में कोई फायदा नहीं था। कई धाराओ में वर्तमान परिस्थितियों में संशोधन किया जाना भी जरूरी हो गया था। वहीं नए कानूनों में खामियां भी हैं। इन्हें दूर किया जाना चाहिए। इसके लिए देश की सभी बार एसोसिएशन से विचार विमर्श कर उन प्रावधानों में संशोधन किया जाना चाहिए।