जमरानी बाँध : अब पहाड़ के लोकदेवता भी होंगे तराई में विस्थापित
हल्द्वानी । जमरानी बांध प्रभावितों की सुनवाई के बाद धारा 19 लागू होने के बाद पुनर्वास की कवायद तेज हो गई है। जमरानी परियोजना ने किच्छा के प्राग फार्म में विस्थापितों के लिए जमीन का लेआउट बनाना शुरू कर दिया है। इसके लिए एजेंसी का चयन कर अनुबंध कर लिया है। पुनर्वास के लिए 1.24 करोड़ से लेआउट तैयार किया जाएगा। चयनित एजेंसी ने लोगों के घर, जमीन, स्कूल, अस्पताल के साथ ही सार्वजनिक जगहों के लिए स्थान चिह्नित करना शुरू कर दिया है। अगले छह माह में इसका काम पूरा कर लिया जाएगा। सिंचाई और हल्द्वानी की पेयजल समस्या दूर करने के लिए गौला नदी जमरानी बांध का निर्माण कराया जाएगा। बांध के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत धनराशि स्वीकृत हो गई है। वहीं बांध निर्माण के डूब क्षेत्र में आने वाले लोगों की सुनवाई कर विस्थापितों की सूची भी तैयार हो गई है। डूब क्षेत्र में आ रहे 446 परिवारों का विस्थापन होना है। इसके लिए किच्छा के प्राग फार्म में इनका पुनर्वास किया जाना है। अब यहां नई बनने वाली बसासत के लिए लेआउट बनाना शुरू कर दिया गया। इसके लिए 1.24 करोड़ की धनराशि खर्च की जाएगी। चयनित एजेंसी फार्म में लोगों के लिए घर और खेती के लिए मिलने वाली जमीन के साथ ही स्कूल, अस्पताल, पार्क और सार्वजनिक जगहों को निर्धारण करेगी। बनाए जाने वाली टाउनशिप के अनुसार ही प्रभावितों को बसाया जाएगा। ऐसे में अब जल्द ही प्राग फार्म में न्यू जमरानी बनेगा।
हैड़ाखान मंदिर व लोक देवताओं का नया ठिकाना होगा तराई: बांध क्षेत्र में लोगों के घर, जमीन के साथ ही हैड़ाखान मंदिर और स्थानीय लोक देवताओं के मंदिर भी आ रहे हैं। ऐसे में लोगों के साथ ही अब इन्हें भी यहां से विस्थापित होना पड़ेगा। अभी तक पहाड़ पर रहने वाले लोक देवताओं का नया ठिकाना अब तराई में होगा।
57,065 हेक्टेयर खेतों को मिलेगा
सिंचाई के लिए पानी: उत्तराखंड के साथ ही यूपी को भी जमरानी बांध से पानी मिलेगा। इसे हर साल 57,065 हेक्टेयर खेतों की सिंचाई होगी। जिससे पानी की कमी से प्रभावित हो रही खेती का समाधान होगा। इसके साथ ही 117 एमएलडी पानी हल्द्वानी को मिल सकेगा। जिससे पेयजल संकट से जूझ रहे लोगों को जरूरत के अनुसार पानी मिलेगा।
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पुनर्वास के लिए टाउनशिप बनाने के लिए एजेंसी का चयन कर अनुबंध कर लिया गया है। इसका लेआउट बनाने के लिए 1.24 करोड़ रुपये खर्च होंगे। अगले छह माह में इसका काम पूरा कर लिया जाएगा। -ललित कुमार, उपमहाप्रबंधक जमरानी परियोजना