September 20, 2024

कमजोर नियमावली से जल निगम की पदोन्नति पर उठा विवाद


देहरादून । जल निगम में डिप्लोमा इंजीनियरों की कमजोर और उलझी हुई पदोन्नति नियमावली के कारण सालों से हर पदोन्नति विवादों के घेरे में रहती है। इस बार भी नियमावली की कमजोरियों को समाप्त किए बिना सहायक अभियंता पद पर हुई पदोन्नति पर विवाद खड़ा हो गया है। हर बार की तरह इस बार भी इंजीनियर कोर्ट चले गए हैं। हर बार की तरह इस बार भी विवाद जूनियर इंजीनियरों के डिग्री कोर्स कर डिग्री  कोटे में पदोन्नति को लेकर उठा है। जल निगम की नियमावली में जूनियर इंजीनियरों के नौकरी में आने के बाद डिग्र्री कोर्स करने का प्रावधान है। डिग्र्री कोर्स करने वाले इंजीनियरों को एई पद पर पदोन्नति में 8.33 प्रतिशत कोटे का लाभ मिलता है। इस नियमावली में ये कहीं स्पष्ट नहीं है कि डिग्री कोर्स कौन सा मान्य होगा। नौकरी में रहते हुए सांध्यकालीन डिग्री कोर्स या रेगुलर डिग्री कोर्स में से किसे मान्यता है, ये स्पष्ट नहीं है। रेगुलर डिग्री करने वालों, बिना मंजूरी डिग्र्री करने वालों के खिलाफ इंजीनियर कोर्ट चले गए हैं। डिग्री कोर्स भी 10 वर्ष के भीतर किए जाने को लेकर भी नियमावली में भ्रम की स्थिति है। जूनियर इंजीनियर पद पर ज्वाइन करने के 10 वर्ष के भीतर डिग्री कोर्स करना है या एई पद पर पदोन्नति वाले समय में 10 वर्ष के भीतर डिग्री कोर्स करना है, ये भी स्पष्ट नहीं है। इसके चलते दोनों ही मामलों में दिए जाने वाले लाभ को लेकर विवाद रहता है। बिना मंजूरी डिग्री करने और बाद में मंजूरी देने पर भी विवाद है।
सांध्यकालीन डिग्र्री कोर्स पर भी विवाद:   जल निगम में कुछ लोगों ने सांध्यकालीन डिग्री कोर्स किया है। हालांकि उनकी डिग्री में कहीं सांध्यकालीन का जिक्र नहीं है। इसी तरह कुछ लोगों ने एएमआईई कोलकाता से कोर्स की मंजूरी ली, लेकिन कोर्स लुधियाना से किया। लुधियाना के कोर्स को जल निगम में मान्यता नहीं है। हालांकि उत्तराखंड के अन्य विभागों में

मान्यता है। लुधियाना की इस डिग्री पर भी विवाद है।
विवाद वालों को ही प्राइम पोस्टिंग:    जिन लोगों की डिग्री पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं, प्रमोशन के बाद प्राइम पोस्टिंग भी उन्हें ही दे दी गई है। इसे लेकर भी डिप्लोमा इंजीनियर्स का एक धड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।
नियमावली में सिर्फ डिग्री कोर्स का जिक्र किया गया है। डिग्री रेगुलर, सांध्यकालीन या डिस्टेंस लर्निंग से हो, इस पर कुछ नहीं कहा गया है। 10 वर्ष के भीतर डिग्री को लेकर नियमावली में बदलाव किया गया है। इसे शासन से जल्द मंजूरी मिलनी है। कुछ लोग कोर्ट गए हैं। कोर्ट से जो भी आदेश होंगे, उनका पालन होगा।  
-संजय सिंह, मुख्य अभियंता मुख्यालय