लीसे की तस्करी पर लगेगा अंकुश, एटीपीएस सिस्टम लागू
हल्द्वानी । वन विभाग मैनुअल रवन्ने की जगह अब क्यूआर कोड वाला रवन्ना जारी करेगा। क्यूआर कोड स्कैन करने के बाद ही वन उपज ले जा रहे वाहन वन विभाग के बैरियरों से निकासी कर सकेंगे। इस व्यवस्था से वन उपज को अवैध तरीके से ठिकाने लगाने के खेल पर अंकुश लग सकेगा। केन्द्र सरकार ने देश भर में 2023 में नेशनल ट्रांजिट पास सिस्टम (एनटीपीएस) लागू किया है। लेकिन उत्तराखंड में मैनुअल तरीके से बिना रवन्ना के ही वन उपज को एक स्थान से दूसरे स्थान भेजा जा रहा था। एक रवन्ने से कई वाहनों में वन उपज भरकर ठिकाने लगाया जा रहा था। मैनुअल रवन्ने का सर्वाधिक बेजा लाभ लीसा तस्कर उठा रहे थे। नई व्यवस्था लागू होने के बाद लीसा समेत सभी वन उपजों की कुमाऊं में तस्करी करना मुमकिन नहीं होगा। मुख्य वन संरक्षक (कुमाऊं) डॉ. धीरज पांडे ने 15 अक्तूबर को कुमाऊं मंडल के सभी वन संरक्षकों, डीएफओ एवं वन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधकों को पत्र लिखकर ऑनलाइन ट्रांजिट पास सिस्टम को अनिवार्य रूप से लागू करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
डिटेल हर माह सीसीएफ कार्यालय को देनी होगी
मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं डॉ. पांडे ने यह आदेश सख्ती से लागू करने को कहा है। इसके साथ ही कितने ट्रांजिट पास जारी किए गए, इसकी हर माह डिटेल वन संरक्षक के माध्यम से मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) कार्यालय को भेजनी होगी। ताकि पूरी प्रक्रिया पर पारदर्शी होने के साथ ही इसे सख्ती से लागू किया जा सके।
ऐसे काम करेगा ऑनलाइन सिस्टम
जिस जगह से वन उपज (लीसा, लकड़ी, रेता-बजरी, जड़ी-बूटी आदि) को जिस जगह से उठाया जाएगा, वहां से ऑनलाइन ट्रांजिट पास क्यूआर कोड की शक्ल में जारी होगा। इस कोड को वन विभाग के हर बैरियर पर स्कैन कराने के बाद ही संबंधित बैरियर से वाहन की निकासी होगी। क्यूआर कोड स्कैन करते
ही विभिन्न जानकारियां एक साथ कंप्यूटर स्क्रीन पर आ जाएंगी। मसलन, संबंधित पास कब जारी हुआ, यह कब तक और कहां तक वैध है। वाहन में कितनी वन उपज लोड है और किसने यह पास जारी किया है। ऐसे में न तो एक रवन्ने से कई गाड़ियों की बैरियर से निकासी हो सकेगी और न ही एक रवन्ने को एक से अधिक बार इस्तेमाल किया जा सकेगा।