वृक्ष मित्र मलड़ा ने की बागेश्वर में 1 जोड़ी मोर छोड़े जाने की मांग
बागेश्वर । विगत दो वर्षों से बागेश्वर के अनेक स्थानों काफलीगैर,अर्नसा, कठायतबाड़ा मण्डलसेरा में एक अकेला गोर दिखाई दिया, जिसकी लोगों द्वारा फोटो-वीडियों भी बनाकर प्रसारित हुई है। समय समय पर एक ही मोर दिखाई देना और सुरक्षित रहना यह भी दर्शीता है कियह अपने झुण्ड से बिछड गया हो, क्योंकि प्रत्येक वर्ष अप्रेल मई माह में रानीखेत में मोरों का आना जाना होताहै जबकि रानीखेत की समुद्र तल से उचाई 1869 मीटर है वही बागेश्वर की समुद्रतल से उचाई 1000 मीटरके आस-पास है।
रानीखेत जैसी उचाई तक मोरो का आना -जाना हो सकता है तो बागेश्वर में आसानी से मोर सुरक्षित्र रह सकते है जिसका उदाहरण लम्बे समय से मोर का दिखाई देना एवं सुरक्षित रहना भी है।
इससे समझा जा सकता है कि बागेश्वर की आवो-हवा मोर के लिए माफिक होने लगी है। जिसके परीक्षण हेतु एकजोड़ा मोर लाकर बागेश्वर में छोड़े जाने से अकेले भटक रहे मोर को भी साथी मिलेंगें, वहीं अनेक प्रकार के वैज्ञानिक जिज्ञासाओं के समाधान में भी राष्ट्रीय पक्षी मोर सहयोगी बनेंगे। जो एक ऐतिहासिक कार्य होगा।मोरों के संरक्षण से प्राकृतिक सौन्दर्यता के साथ पर्यटकों के लिए आकृषण का केन्द्र बनेगा।
इस आशय का एक पत्र देवकी लघु वाटिका के वृक्ष प्रेमी व सामाजिक कार्यकर्ता किसन मलड़ा ने वन विभाग को प्रेक्षित किया है ।
उनका मानना है कि यह प्रयोग बागेश्वर के लिए एक ऐतिहासिक बन सकता हैं। जिससे भविष्य में अन्य पशु पक्षियों पर भी इसे आजमाया जा सकता हैं।