ऊर्जा निगम में नहीं सुलझ रहा प्रमोशन विवाद, प्रमोशन को लेकर जेई और एई संवर्ग आमने सामने
देहरादून । ऊर्जा निगम में सहायक अभियंता पद पर वरिष्ठता निर्धारण के साथ ही अधिशासी अभियंता के खाली पदों पर प्रमोशन का विवाद सुलझ नहीं रहा है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी यूपीसीएल मैनेजमेंट फैसला नहीं ले पा रहा है। प्रमोशन को लेकर जेई और एई संवर्ग आमने सामने हैं। यूपीसीएल मैनेजमेंट के स्तर से अधिशासी अभियंता पद पर प्रमोशन न होने के कारण पहाड़ों के डिवीजनों की स्थिति बेहद लचर है। एक अधिशासी अभियंता पर चार चार डिवीजन का जिम्मा है। श्रीनगर में प्रोजेक्ट का जिम्मा संभाले ईई के पास श्रीनगर डिवीजन के साथ ही पौड़ी, नैनीडांडा डिवीजन का भी अतिरिक्त चार्ज है। क्योंकि जिस अधिशासी अभियंता के पास पौड़ी और नैनीडांडा का चार्ज है, वो ज्वाइन करने के बाद ही अवकाश पर चले गए हैं।
इतना ही नहीं ज्वालापुर हरिद्वार में अधिशासी अभियंता का जिम्मा संभालने वाले अर्जुन प्रताप के पास ही काशीपुर यूएसनगर सर्किल के एसई का भी जिम्मा है। इसी तरह की तमाम खामियां यूपीसीएल में हैं। ये सभी दिक्कतें अधिशासी अभियंता के 40 खाली पदों के कारण आ रही हैं। हाईकोर्ट साफ कर चुका है कि यूपीसीएल अपनी नियमावली के अनुसार वरिष्ठता निर्धारित करते हुए प्रमोशन करे। आदेश को लागू करने की बजाय यूपीसीएल मैनेजमेंट फिर हाईकोर्ट पहुंच गया है। एमडी यूपीसीएल अनिल कुमार ने बताया कि कोर्ट से स्पष्ट आदेश मिलते ही प्रमोशन कर दिए जाएंगे।
प्रभारी व्यवस्था में भी नहीं दिया जा रहा जिम्मा
यूपीसीएल में कई डिवीजनों का जिम्मा डिवीजन के वरिष्ठ सहायक अभियंताओं को भी दिया गया है। लेकिन अब मैनेजमेंट प्रभारी व्यवस्था में ईई का जिम्मा देने से भी बच रहा है। जबकि डिवीजनों में वरिष्ठ सहायक अभियंताओं को प्रभारी ईई का जिम्मा देकर स्थिति को संभाला जा सकता है। क्योंकि प्रमोशन होने पर भविष्य में इन्हीं एई ने ईई पद पर पदोन्नत होना है।