December 28, 2024

31 दिसंबर से पहले दाखिल कर दें आईटीआर वरना होगा बड़ा नुकसान


मुम्‍बई । वित्त वर्ष 2023-24 के लिए विलंबित और संशोधित इनकम टैक्स रिटर्न जमा करने की लास्ट डेट 31 दिसंबर, 2024 है। जबकि विभिन्न कैटेगरी के टैक्सपेयर्स के लिए आईटीआर  दाखिल करने की अलग-अलग समय-सीमाएं हैं। विलंबित और रिवाइज्ड रिटर्न के लिए अंतिम तिथि एक ही रहती है। अगर कोई व्यक्ति 31 दिसंबर, 2024 तक विलेटेड रिटर्न दाखिल करने से चूक जाता है तो काफी नुकसान हो सकता है।
आयकर अधिनियम की धारा 139(4) के तहत, विलंबित रिटर्न पर बकाया टैक्स पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगता है। कम कर योग्य आय के लिए 1,000 रुपये का कम जुर्माना लगता है। हालांकि, 3 लाख रुपये की मूल छूट सीमा से कम आय वाले लोगों को कोई जुर्माना नहीं देना पड़ता है।
बिलेटेड रिटर्न आखिरी मौका
चार्टर्ड अकाउंटेंट संतोष मिश्रा के मुताबिक टैक्सपेयर्स के लिए आईटीआर  दाखिल करने और रिफंड और कुछ नुकसान का क्लेम करने के लिए बिलेटेड रिटर्न आखिरी मौका होता है। अगर बिलेटेड रिटर्न दाखिल नहीं किया जाता है तो व्यक्ति उस एसेसमेंट ईयर के लिए उन दावों और क्रेडिट से चूक जाता है।
बिलेटेड रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा समाप्त होने के बाद केवल एक अपडेटेड रिटर्न दाखिल किया जा सकता है, बशर्ते कि कोई कर देयता देय हो। इसके अलावा, अगर कोई बिलेटेड रिटर्न दाखिल नहीं किया जाता है, तो आयकर विभाग द्वारा नोटिस भेजे जाने पर करदाता को कर देनदारियों पर बढ़े हुए ब्याज और जुर्माने का सामना करना पड़ेगा।
अपडेटेड रिटर्न की सुविधा
सीए अजय बगड़िया ने बताया, “अगर टैक्सपेयर संशोधित रिटर्न दाखिल करने की लास्ट डेट से चूक जाता है, तो उस आकलन वर्ष के लिए फिर से संशोधित रिटर्न दाखिल करने और रिफंड या नुकसान का दावा करने के लिए कोई अन्य सिस्टम नहीं है।”
बगड़िया के मुताबिक आयकर कानून एक अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने की अनुमति देता है। हालांकि, अपडेटेड रिटर्न उन मामलों में दाखिल नहीं किया

जा सकता है जहां करदाता को नुकसान हुआ है। इससे रिफंड में वृद्धि हुई है, या टैक्स रिटर्न का प्रभाव मूल या विलंबित रिटर्न में दाखिल कुल कर देयता को कम करने का है।
सीए अभिनंदन पांडेय ने बताया कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139(5) के अनुसार, आईटीआर को प्रासंगिक मूल्यांकन वर्ष के समाप्त होने से तीन महीने पहले या मूल्यांकन पूरा होने से पहले ही संशोधित किया जा सकता है, इनमें से जो भी पहले हो। धारा 143(1) के तहत सूचना मिलने के बाद भी आईटीआर को संशोधित किया जा सकता है। हालांकि, एक बार जब आईटीआर को धारा 143(3) के तहत नियमित जांच मूल्यांकन के तहत प्रोसेस किया जाता है, तो उसे संशोधित नहीं किया जा सकता है।