दून में महिला मंच ने यूसीसी के खिलाफ धरना दिया

देहरादून । उत्तराखंड महिला मंच ने यूसीसी के विरोध में मंगलवार को कलक्ट्रेट स्थित मातृशक्ति स्थल पर धरना दिया। उन्होंने समान नागरिकता कानून के नाम पर लागू किए गए यूसीसी को असंवैधानिक और आपसी सौहार्द खत्म करने वाला कानून करा दिया। मंच के पदाधिकारी निर्मला बिष्ट और कमला पंत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में यह प्रावधान है कि भारत के समस्त नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता बनाई जानी चाहिए। कोई एक राज्य ऐसा कानून बनाता है तो यह संविधान का सीधा उल्लंघन है। यह कानून एक राष्ट्र के नागरिकों के लिए एक ही नागरिकता हो सकती है इस अवधारणा को भी स्पष्टतः नकारता है और राष्ट्रीय एकता के लिए भी एक खतरनाक है I संविधान के तहत मिले भू अधिकार और नागरिकों के स्वतंत्रता के मूल अधिकार का भी निषेध करता है। विवाह, तलाक एवं सहजीवन में रहने के लिए अनिवार्य रजिस्ट्रेशन को सार्वजनिक करने की अनिवार्यता संवैधानिक है और स्पष्टतः उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन है। इससे राज्य में पुलिस राज बढ़ने के साथ भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलेगा। लिव इन रिलेशनशिप उत्तराखंड की संस्कृति में नहीं है, ऐसे में उत्तराखंड में इस तरह के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य कर सरकार क्या संदेश देना चाहती है। मंच ने उत्तराखंड में बढ़ती महिला हिंसा पर चिंता जताई। महिलाओं की सुरक्षा और विकास के लिए चलाई जा रही योजनाओं को बंद करने और उनका बजट कम करने का भी आरोप लगाया। धरने के बाद महिला मंच ने सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजा। धरने में भुवनेश्वरी कठैत, भगवानी रावत, सीमा नेगी , हेमलता नेगी, विजय नैथानी, बीना डंगवाल, सरोजिनी चौहान, संता नेगी, रूपा थापा, नीलम पालीवाल, लक्ष्मी थापा, बबीता, पदमा गुप्ता शामिल हुए।