आखिर भारत दुनिया में क्यों इतना अकेला पड़ गया

एक दूसरा तरीका यह है कि तमाम देशों ने भारत से लगाव क्यों नहीं जाहिर किया, इस सवाल पर गंभीरता से विचार किया जाए। इस प्रश्न पर आत्म-मंथन की जरूरत है कि आखिर भारत दुनिया में क्यों इतना अकेला पड़ गया है!
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्किये और अजरबैजान ने पाकिस्तान का साथ दिया, इसलिए उन दोनों देशों के प्रति भारत में स्वाभाविक गुस्सा भड़का है। इसे जताने के लिए दोनों देशों के बहिष्कार का अभियान जोर पकड़ गया है। भारतीय सैलानी वहां के लिए अपनी बुकिंग रद्द करवा रहे हैं।
भारत सरकार ने भी तुर्किये के सोशल मीडिया हैंडल्स को देश में प्रतिबंधित करवा दिया है। लेकिन इस मुहिम के दौरान एक अजीब किस्म का विरोधाभास नजर आता है। पाकिस्तान का सबसे बड़ा मददगार कोई साबित हुआ है, तो वह चीन है। हालिया टकराव के समय भी उसने अपनी फौलादी दोस्ती निभाई और पाकिस्तान की संप्रभुता एवं सुरक्षा के लिए अपना समर्थन जताया।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्टों पर ध्यान दें, तो संकेत मिलता है कि चीनी हथियार पाकिस्तान के लिए बेहद सहायक साबित हुए। और इस समय जबकि पाकिस्तान से तनाव कायम है, चीन ने भारत से लगी पूर्वी सीमा को गरमाने की कोशिश की है। अरुणाचल प्रदेश पर उसने फिर अपना दावा जता दिया है। मगर चीन के बहिष्कार की बात कहीं गायब है।
जबकि चीन का बहिष्कार अधिक आसान है। आखिर भारतीय बाजार चीन में बनी वस्तुओं से भरे पड़े हैं, जिनसे तुरंत तौबा की जा सकती है। बात इतनी ही नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर के समय इस्लामी देशों के संगठन ओआईसी ने भी पाकिस्तान का पुरजोर समर्थन किया।
इसके सदस्य 57 देशों में यूएई और सऊदी अरब भी हैं, जिन्हें भारत का दोस्त बताया जाता है। उन सबके प्रति भी चुप्पी है। वैसे गुस्सा तो आजमाये हुए दोस्त रूस के प्रति भी होना चाहिए, जिसने इस मौके पर भारत का साथ नहीं दिया। उधर अमेरिका का ट्रंप प्रशासन अपने बयानों से लगातार भारत के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है।
तो अपेक्षित यह है कि इन सबके प्रति भी भारतवासी आक्रोश की भावना रखें। या फिर एक दूसरा तरीका यह है कि इन तमाम देशों ने भारत से लगाव क्यों नहीं जाहिर किया, इस सवाल पर गंभीरता से विचार किया जाए। इस प्रश्न पर आत्म-मंथन की जरूरत है कि आखिर भारत दुनिया में क्यों इतना अकेला हो गया है!